हरियाणा का 17 साल पुराना हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) का असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती घोटाले में बड़ा अपडेट हुआ है। सरकार ने दोषियों के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए राष्ट्रपति से मंजूरी मांगी है। इसके लिए केंद्र सरकार को जीरो एरर फाइल दिल्ली भेज दी गई है
दिल्ली भेजी गई फाइल में जिन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी है, उनमें पूर्व अध्यक्ष केसी बांगड़, तत्कालीन सचिव हरदीप सिंह, तत्कालीन सदस्य महेंद्र सिंह शास्त्री, एनएन यादव, जगदीश राज, डॉ मेहर सिंह सैनी, नरेंद्र के नाम शामिल हैं।
क्यों जरूरी है राष्ट्रपति की मंजूरी
हरियाणा लोक सेवा आयोग एक वैधानिक निकाय है। इसलिए इस एजेंसी या इसके सदस्यों के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो राज्य सतर्कता ब्यूरो जनवरी के महीने में घोटाले में संलिप्त दोषियों के खिलाफ केस दर्ज कर सकता है।
क्या था मामला
हरियाणा में वर्ष 2002 और 2004 में की गई HCS और संबद्ध सेवाओं की भर्ती के साथ ही 2003 में HPSC द्वारा आयोजित सहायक प्रोफेसरों के पदों पर भर्ती से संबंधित है। इस भर्ती में कई धांधली सामने आई, जिसमें राज्य सतर्कता ब्यूरो के द्वारा 2005 में केस दर्ज किया गया। हालांकि अभी तक इस मामले में विजिलेंस ब्यूरो ने चुप्पी साध रखी थी।
केस को और मजबूत कर रही HSVB
भर्तियों से जुड़े इस घोटाले को मजबूत करने के लिए सरकार काम कर रही है। इसकी वजह यह भी है कि इस मामले की जांच के दौरान यदि अन्य व्यक्तियों को भी जोड़ना पड़े तो कोई दिक्कत न आए। विजिलेंस ब्यूरो कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि चार्जशीट दाखिल करने के लिए अभियुक्तों के खिलाफ केस दर्ज की स्वीकृति के लिए हरियाणा स्टेट विजिलेंस ब्यूरो (HSVB) सितंबर से रात भर काम कर रही है।
हरदीप पुरी ने दायर की विरोध याचिका
इस मामले में सेवानिवृत्त हो चुके IAS हरदीप पुरी ने मुख्य सचिव कार्यालय में एक विरोध याचिका दायर की है। चूंकि मुख्य सचिव संजीव कौशल वर्तमान में सतर्कता विभाग के प्रमुख हैं, ऐसे में इस मामले में उनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। हालांकि अभी तक इस मामले में संजीव कौशल की ओर से चुप्पी नहीं तोड़ी गई है।
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