विधवा महिला ने दो बेटों की शादी में दहेज में मिले लाखों रुपए ना लेकर शगुन का लिया 1 रुपया व नारियल, चारों तरफ हो रही जमकर सराहना

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विधवा महिला ने दो बेटों की शादी में दहेज में मिले लाखों रुपए ना लेकर शगुन का लिया 1 रुपया व नारियल, चारों तरफ हो रही जमकर सराहना

चोपटा। आधुनिकीकरण के इस युग में जहां दहेज के लिए कई बेटियों के घर बसने से पहले ही उजड़ रहें हैं तो वही इसी समाज में कई शख्स ऐसे भी हैं जो बिना एक पल की देरी किए दहेज रूपी लालच को ठोकर मारकर मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं. ऐसा ही कुछ गुड़िया खेड़ा की विधवा महिला कर दिखाया है । दो बेटों की शादी में दहेज में मिले एक लाख 51 हजार रुपए ना लेकर शगुन के रूप में मात्र 1 रुपया व नारियल लेना ही स्वीकार किया। इस नजारे को देखकर वहां मौजूद सभी लोगों ने दूल्हों की जमकर सराहना की और तहे दिल से सभी का धन्यवाद किया।


दहेज के रुपयों को लेने से किया इंकार

दरअसल ऐलनाबाद हल्के के गांव मिठनपुरा निवासी देवीराम देहडू की लड़की कविता व आईना की शादी गांव गुड़िया निवासी स्व प्रहलाद पत्नी निर्मला देवी पिलानिया के बेटे सुनील व मनीष के साथ हुई है।  बारात जब गांव मिठनपुरा पहुंची तो वहां शादी सम्पन्न होने के बाद देवीराम देहडू ने अपनी दोनों लड़कियों की शादी में दहेज स्वरूप एक लाख 51 हजार रुपए नकद दिए लेकिन वर पक्ष ने दहेज के रुपयों को लेने से इंकार कर दिया और शगुन के रूप में मात्र 1 रुपया व नारियल लेकर इस प्रकिया को संपन्न किया। 




ऐसे में दहेज को ठुकरा कर शादी करने वाले वर पक्ष के परिवार की चर्चा सभी की जुबान पर बनी हुई है। लड़की के पिता व मिठनपुरा गांव के लोगों ने वर पक्ष सहित पूरे परिवार को बधाई दी और दहेज ना लेने व देने की इस मुहिम की दिल खोलकर सराहना की । इस मौके पर दुल्हे सुनील ने कहा कि आज के युग में भी हम पहले की तरह दहेज के रूप में लड़की पक्ष से बड़ी- बड़ी रकम लेते रहे तो फिर हम पढ़े- लिखे युवाओं की शिक्षा का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा।  

दूल्हे ने युवाओं से की अपील

इस मौके पर दुल्हे सुनील व मनीष ने अपनी उम्र के अन्य युवाओं से अपील करते हुए कहा कि आज के इस शिक्षित युग में दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म करने के लिए हम सबको साथ मिलकर सहयोग करना होगा।  हम सबको अपनी समझदारी का परिचय देते हुए दहेज जैसी बुराई को त्यागकर सिर्फ लड़की को अपनाना होगा ताकि वधू पक्ष के परिवार पर किसी तरह का कर्ज न चढ़े।  हम सबके प्रयासों से ही समाज में बदलाव आएगा और समाज से ऐसी सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में कामयाबी हासिल होगी। 

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