पंचांग के मुताबिक, अगहन महीने की अमावस्या 23 नवंबर, बुधवार को सुबह 06.50 से शुरू होगी जो कि 24 नवंबर को सुबह 04.26 तक रहेगी। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन व्रत रखें और सामर्थ्य के अनुसार, जरूरतमंदों में अन्न, वस्त्र आदि दान करें।
मार्गशीर्ष मास को अगहन मास भी कहा जाता है। इस महीने में पड़ने वाली अमावस्या का काफी महत्व माना जाता है, अमावस्या के दिन स्नान-दान करने का विधान है। इस बार यह अमावस्या 23 नवंबर को पड़ रही है। ज्योतिर्विदों के मुताबिक इस दिन शुभ संयोग बन रहा है। दरअसल, इस बार बुधवार के दिन अमावस्या पड़ने से इस दिन शुभ संयोग बन रहा है। पुराणों के अनुसार मार्गशीर्ष मास भगवान श्री कृष्ण के प्रिय महीनों में एक माना जाता है। इसलिए इस दिन स्नान-दान के साथ पितरों का तर्पण, श्राद्ध के साथ-साथ श्रीकृष्ण की पूजा करने का भी महत्व है और देवी लक्ष्मी की भी पूजा विशेष फलदायी होती है।
पंचांग के मुताबिक, अगहन महीने की अमावस्या 23 नवंबर, बुधवार को सुबह 06.50 से शुरू होगी जो कि 24 नवंबर को सुबह 04.26 तक रहेगी।
- मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन व्रत रखें और सामर्थ्य के अनुसार, जरूरतमंदों में अन्न, वस्त्र आदि दान करें।
- संध्या के समय पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और व्रत करने से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं।
- इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने से हर दुख-दर्द से मुक्ति मिलती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या पर ऐसे करें पितरों का तर्पण
शास्त्रों के मुताबित पितरों को जल अर्पण करने की विधि को तर्पण कहते हैं। इस विधि में हाथों में कुश और तिल लेकर पितरों का ध्यान किया जाता है। इसके बाद पितरों को अभिमंत्रित करते हुए 'ॐ आगच्छन्तुमे पितर एवं गृह्णन्तु जलान्जलिम' इस मंत्र को बोलते हुए पितरों को तिलांजलि दी जाती है।
0 टिप्पणियाँ