कुंडली में है कालसर्प दोष तो पौष अमावस्या पर करें ये काम, दूर होंगे सारे दुख

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कुंडली में है कालसर्प दोष तो पौष अमावस्या पर करें ये काम, दूर होंगे सारे दुख

 


साल का आखिरी महीना बस कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है. इसी माह में वर्ष की अंतिम अमावस्या भी पड़ रही है. इस अमावस्या को पौष अमावस्या भी कहते हैं. दरअसल इस अमावस्या के साथ ही कृष्ण पक्ष का भी समापन हो जाता है. वैसे तो अमावस्या पर भी कई तरह के तंत्र-मंत्र भी किए जाते हैं, लेकिन पौष अमावस्या खासतौर पर  पितरों की आत्मा की शांति के लिए होती है. इस दिन भी आप पितरों को लेकर श्राद्ध करें तो इसका विशेष फल मिलता है.


इसके अलावा जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष है उन्हें इस दिन यानी पौष अमावस्या व्रत जरूर रखना चाहिए. इससे उनको कालसर्प दोष का असर काफी हद तक खत्म हो जाता है. इसके अलावा पौष अमावस्या पर सूर्यदेवता को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए. आइए जानते हैं कि पौष अमावस्या का महत्त्व क्या है, पूजन विधि क्या है, इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, कौन से उपाय करना शुभ फलदायी साबित होता है.
पौष अमावस्या कब है, क्या है मुहूर्त ।
पौष अमावस्या दिनांक 22 दिसंबर 2022 को शाम 07 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 23 दिसंबर 2022 दिन शुक्रवार को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.

पौष अमावस्या का महत्त्व क्या है?
पौष अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए उपवास रखने की मान्यता है. इस दिन पितरों की उपासना करने से पितृ बेहद प्रसन्न होते हैं और आने वाले भविष्य की मंगल कामना करते हैं. वहीं दूसरी तरफ इस दिन सूर्य देवता को अर्घ्य अवश्य दें, इससे आपके सारे बिगड़े काम बनेंगे और आपको सारे दोषों से छुटकारा मिलेगा.

पौष अमावस्या का पूजन विधि क्या है?
इस दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त (4-5 बजे का समय) में स्नान करें. पश्चात सूर्य देवता को गुड़ और जल से अर्घ्य दें. पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए इस दिन उपवास जरूर रखना चाहिए. पीपल के पेड़ के नीचे संध्या के समय घी का दीपक जलाएं और पितरों का नाम लेकर तुलसी मां की परिक्रमा अवश्य करें.
पौष अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए?
- सूर्य देवता को तांबे या पीतल के कलश में गंगाजल और गुड़ डालकर अर्घ्य दें.
- पितरों का पसंदीदा भोजन बनाएं, उसके बाद पहले गौ माता, कुत्ते और कौवों को जरूर खिलाएं.
- संध्या के समय पितरों का नाम लेकर घी का दीपक जलाएं.
- इस दिन जरूरतमंदों को दान अवश्य करें.
- इस दिन विष्णुसहस्त्रनाम का 108 बार जाप करें.
- अगर आपके कुंडली में पितृदोष है या फिर धन में वृद्धि नहीं हो रही है, तो ऐसे में आपको पौष अमावस्या के दिन विधिवत भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.

पौष अमावस्या के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
- इस दिन क्रोध करने से बचना चाहिए.
- धूम्रपान और मदिरापान करने से बचें.
- संध्या के समय सोने से बचें.
- नमक,तेल और लोहे का दान करने से बचें.
- पौष अमावस्या के दिन जितना कम बोलेंगे, उतना फायदा होगा.

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