बढ़ रहे दूध के दाम, पौष्टिक आहार के लिए चुन सकते हैं दूसरे विकल्प? जानिए विशेषज्ञों की राय

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बढ़ रहे दूध के दाम, पौष्टिक आहार के लिए चुन सकते हैं दूसरे विकल्प? जानिए विशेषज्ञों की राय



भारत में दूध और दूध के प्रोडक्ट्स की कीमतों में होने वाली लगातार बढ़ोतरी ने लोगों को इनके इस्तेमाल में कमी या फिर दूसरे विकल्पों की तलाश के लिए मजबूर कर दिया है. देश दूध और उसके उत्पादों का न केवल सबसे बड़ा उत्पादक है बल्कि उपभोक्ता भी है. दूध, मक्खन, घी और छाछ सबसे ज्यादा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में से हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश शाकाहारी परिवारों में प्रोटीन के लिए दूध और दूध के उत्पादों पर निर्भरता काफी ज्यादा है. साथ ही खरीदे गए दूध की मात्रा में कमी एक चिंता का बड़ा कारण है क्योंकि इससे बच्चे भी वंचित हो रहे हैं. इस संबंध में शरीर की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के बारे में विशेषज्ञ की राय जानना भी जरूरी है.

दूध पीना रोजाना जरूरी नहीं

मैक्स हेल्थकेयर की क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट और मंजरी वेलनेस की संस्थापक मंजरी चंद्रा ने कहा, “मेरी राय में, डेयरी उत्पादों का हमारे शरीर पर कम प्रभाव पड़ता है. विदेशों में भी बहुत से लोग शाकाहारी आहार चुनते हैं जो अब भारतीय संस्कृति का हिस्सा बन रहे हैं. शाकाहारी होने का अर्थ है डेयरी सहित एनिमल प्रोडक्ट्स का सेवन नहीं करना. शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व पाने के लिए डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करना जरूरी नहीं है.”

आगे उन्होंने कहा, “डेयरी प्रोडक्ट को बढ़ावा दिया जाता है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि शरीर को कैल्शियम और प्रोटीन की पूर्ति की आवश्यकता होती है और दूध को पूरी मील यानी कि संपूर्ण आहार माना जाता है. शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों को पूरा करने के लिए दूध को दैनिक आधार पर आवश्यक नहीं माना जाता है. एक बच्चे को कैल्शियम या शरीर के अन्य पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करने के लिए रोजाना दूध पीने की जरूरत नहीं होती है.” चंद्रा ने कहा, “सब्जियां, जौ, बाजरा और दाल जैसे खाद्य पदार्थ में भी पौष्टिक ज्यादा होता है.”

डेयरी का न्यूट्रिशन वैल्यू पहले की तुलना में बहुत अलग

उन्होंने कहा कि दूध में इंफ्लेमेटरी प्रभाव होता है. इन दिनों बाजार में उपलब्ध डेयरी का न्यूट्रिशन वैल्यू पहले की तुलना में बहुत अलग है. दूध का दूषित होना अब एक आम बात हो चुकी है. गायों और भैंसों से गाढ़ा दूध निकालने और उन्हें बीमारी से दूर रखने के लिए एंटीबायोटिक्स दिया जा रहा है, जो कि डेयरी प्रोडक्ट्स पर बहुत अधिक इंफ्लेमेटरी बना देता है. ऑटोइम्यून बीमारियों वाले रोगी को दूध और दूध के उत्पादों को आहार से हटाने की सलाह दी जाती है.

चंद्रा ने कहा, “डेयरी उत्पादों का सेवन करना आवश्यक नहीं है. जो वयस्क डेयरी प्रोडक्ट का सेवन करना बंद कर देते हैं वे लंबे समय तक जीवित रहते हैं. हेल्दी डाइट लेने की सलाह दी जाती है. दूध को फुल मील नहीं माना जा सकता है. जो लोग दूध नहीं पीते हैं या फिर खरीदने में सक्षम नहीं हैं उन्हें अन्य विकल्पों का उपभोग करने की सलाह दी जाती है, जिसमें सस्ते दामों पर दूध के समान या अधिक न्यूट्रिशनल वैल्यू होती है.”

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