इन 5 बैक्टीरिया ने एक साल में 6.80 लाख भारतीयों की ले ली जान, ये हैं इनके बचने के तरीके

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इन 5 बैक्टीरिया ने एक साल में 6.80 लाख भारतीयों की ले ली जान, ये हैं इनके बचने के तरीके

 



बैक्टीरिया के कारण 2019 में भारत में 6.78 लाख मौतें हुईं और दुनियाभर में 1.37 करोड़ से अधिक लोगों ने दम तोड़ा. इन मौतों की सबसे बड़ी वजह 5 तरह के बैक्टीरिया हैं. जानिए, इनसे कैसे बचें...

बैक्टीरिया के कारण 2019 में भारत में 6.78 लाख मौतें हुईं और दुनियाभर में 1.37 करोड़ से अधिक लोगों ने दम तोड़ा. इन मौतों की सबसे बड़ी वजह 5 तरह के बैक्टीरिया हैं. यह दावा लैंसेट जर्नल में पब्लिश रिसर्च में किया गया हैं. रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, बैक्टीरिया का संक्रमण जानलेवा होता जा रहा है. रिसर्च के लिए दुनिया के 204 देशों का आंकड़ा जुटाया गया. इन देशों हुई 34 करोड़ मौतों की वजह तलाशी गई. रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने जब बैक्टीरिया से होने वाली मौंतों का आंकड़ा अलग किया तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए.

वो 5 बैक्टीरिया जिसने सबसे ज्यादा जानें लीं

लैंसेट जर्नल की रिपोर्ट कहती है, बैक्टीरिया ने दुनियाभर में 1.37 करोड़ से अधिक लोगों की जान लीं. इनमें से 55 फीसदी मौतों की वजह 5 तरह के बैक्टीरिया बने. इनमें ई. कोलाई (E. coli), एस. निमोनिया (S. pneumoniae), एस. ऑरियस (S. aureus), के. निमोनिया (K. pneumoniae) और ए. बौमेनियाई (A. baumanii) शामिल हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक, अकेले ई. कोलाई बैक्टीरिया के कारण भारत में 1 लाख 60 हजार मौतें हुईं.

  1. ई. कोलाई: इसके कई प्रकार होते हैं. इसके कुछ बैक्टीरिया हानिरहित होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो पेट में संक्रमण फैलाते हैं. ये पेट में दर्द और दस्त की वजह बनते हैं. कई बार इनकी वजह से संक्रमित मरीज की किडनी काम करना बंद कर देती है और मौत हो जाती है. आमतौर पर यह बैक्टीरिया कच्चा मांस, फल और सब्जी के जरिए शरीर में पहुंचता है. इसलिए इन्हें अच्छी तरह धोकर और पकाकर खाने की सलाह दी जाती है.
  2. एस. निमोनिया: स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया बैक्टीरिया कान और ब्लड में होने वाले संक्रमण की वजह बनता है. इसके मामले सबसे ज्यादा बच्चों में सामने आते हैं. संक्रमण का असर दिमाग तक पहुंच सकता है, जिसे मेनिनजाइटिस कहते हैं. इसके अलावा यह सांस की नली को प्रभावित करता है. सर्दी-खांसी के लक्षणों वाले संक्रमित मरीजों से दूर रहें. मरीजों को सलाह दी जाती है कि खांसते या छींकते समय कपड़े का इस्तेमाल करें.
  3. एस. ऑरियस: स्किन इंफेक्शन से जुड़े ज्यादातर मामलों में एस ऑरियस बैक्टीरिया का रोल होता है. इसके अलावा यह सांस की नली को भी अपना ठिकाना बनाता है. इसके संक्रमण से बचने के लिए घावों को ढककर रखें. साफ-सफाई का ध्यान रखें. हाथों को धोने के बाद ही कुछ खाएं. बेडशीट समय-समय पर बदलते रहें.
  4. के. निमोनिया: यह बैक्टीरिया निमोनिया, ब्लड इंफेक्शन और सर्जरी वाले हिस्सों में संक्रमण के लिए जिम्मेदार होता है. कुछ मामले में यह मेनिनजाइटिस की वजह भी बनता है. इसका संक्रमण रोकने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है. हाथों को साबुन पानी से धोने के बाद ही आंख, नाक या मुंह को छुएं. बाथरूम से निकलने के बाद हाथों को धोएं.
  5. ए. बौमेनियाई: अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी CDC की रिपोर्ट के मुताबिक, यह बैक्टीरिया ब्लड, यूरिनरी ट्रैक्ट और फेफड़ों में संक्रमण की वजह बनता है. कई मामलों में यह मरीज के शरीर में सालों तक बना रहता है और उसमें लक्षण नजर नहीं आते. अचानक से बीमारी की बात पता चलती है. साफ-सफाई का ध्यान रखकर इसके खतरे को कम किया जा सकता है.
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