गांव जोगीवाला में एमकॉम पास समेस्ता बैनीवाल बनी सर्वसम्मति से सरपंच, ग्रामीणों ने सभी 12 वार्ड पंचों को भी निर्विरोध चुन कर पेश की भाईचारे की मिसाल

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गांव जोगीवाला में एमकॉम पास समेस्ता बैनीवाल बनी सर्वसम्मति से सरपंच, ग्रामीणों ने सभी 12 वार्ड पंचों को भी निर्विरोध चुन कर पेश की भाईचारे की मिसाल



चौपटा। राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के सिरसा जिले के अंतिम छोर पर पड़ने वाले गांव जोगीवाला के ग्रामीणों ने पहली बार पूरी पंचायत निर्विरोध चुनकर आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर अन्य लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत कार्य किया है। सभी ग्रामीणों ने मिलकर गांव की  एमकॉम, जेबीटी पढ़ी लिखी बहू समेस्ता बैनीवाल को सरपंच पद की सर्वसम्मति से कमान सौंपी है। उनके साथ 12 वार्ड पंचों को भी निर्विरोध चुना है । गांव जोगीवाला के ग्रामीणों का ऐतिहासिक फैसला सिरसा जिले में व निकटवर्ती राजस्थान के नोहर और भादरा क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। 
सभी बिरादरी के एक स्थान पर बैठे ग्रामीण छोटू राम, बलवान, रामेश्वर, बेगराज, धनपत, साधुराम, सुभाष चंद्र ने बताया कि गांव में पिछले डेढ़ साल से रुके हुए विकास कार्यों को करवाने के लिए ग्राम  पंचायत चुनाव का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही पंचायत चुनाव की घोषणा हुई ग्रामीणों ने मन बना लिया की। गांव में इस बार 12 नवंबर को चुनाव नहीं करवाएंगे और ग्रामीणों ने पूरी पंचायत को निर्विरोध चुन कर एक ही चौक पर बैठकर आपसी मतभेद भुलाकर कार्य करने का मन बनाया। इसी के तहत एम कॉम जेबीटी पढ़ी हुई समेस्ता बैनीवाल पत्नी अनिल कुमार बैनीवाल  को गांव की सरपंच पद की कमान सौंप दी। उनके साथ वार्ड पंच के पदों पर मुकेश कुमार, शकुंतला, मुकेश पुत्र धर्मवीर, सरिता,रोहतास, माया, राजकुमार, सुनीता, कृष्ण कुमार, विनोद कुमार, सोनिया, सुभाष जाखड़ को गांव के विकास में सहयोग देने के लिए वार्ड पंच के पदों पर चुना है।  


ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पिछले डेढ़ साल से गलियों की हालत काफी खराब हो गई। टूटी फूटी गलियों में जलभराव की मुख्य समस्याएं हल करवाना जरूरी है। बस सुविधा का भी हमेशा अभाव रहता है। जिसके कारण ग्रामीणों व विशेषकर लड़कियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा राज्य के अंतिम छोर पर पड़ने के कारण गांव हमेशा से ही सरकार व प्रशासन की आवश्यक सुविधाओं से वंचित रहता है इसलिए ग्रामीणों ने इस बार आपसी भाईचारा कायम रखकर गांव के विकास को करवाने का ऐतिहासिक फैसला लिया और अन्य गांवों के ग्रामीणों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन गया। ग्रामीणों द्वारा लिए गए फैसले की चर्चा हरियाणा तथा निकटवर्ती राजस्थान में काफी जोरों पर है। गांव की पढ़ी लिखी बहू को सरपंच बना कर ग्रामीण काफी खुश और विकास कार्यों के लिए आशावान है।


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