चौपटा। फौजियों के गांव लुदेसर के राजकीय उच्च विद्यालय में अध्यापकों की कमी को लेकर ग्रामीणों ने रोष स्वरूप स्कूल के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया।
पिछले दिनों सरकार द्वारा अध्यापकों के तबादला करने के पश्चात विद्यालय में मात्र 3 अध्यापक ही कार्यरत हैं । स्कूल में अध्यापकों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। इसको लेकर ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन व शिक्षा विभाग को अवगत करवाया। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर बुधवार को ग्रामीणों ने स्कूल के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया। ग्रामीण संतलाल, मदन, लीलू राम, रमेश, इंदर सिंह, रणबीर, श्रवण कुमार, बंशीलाल, सतपाल, मुकेश कुमार, छबीला राम, जयदेव, सोहनलाल, छोटू राम, महेंद्र सिंह, नेतराम, रोहतास, हनुमान, खुर्शीद आलम, राजा राम, देवीलाल, हरद्वारी, अशोक कुमार, कृष्ण कुमार, वेद प्रकाश ने बताया कि पिछले दिनों सरकार की तबादला नीति के तहत विद्यालय से कई अध्यापकों के तबादले अन्य स्कूलों में कर दिए।
हिंदी अध्यापक, सामाजिक विज्ञान अध्यापक, शारीरिक शिक्षा अध्यापक, विज्ञान अध्यापक, अंग्रेजी अध्यापक, गणित अध्यापक के पद रिक्त हो गए। इन पदों पर किसी अन्य अध्यापक की नियुक्ति नहीं की गई। इन विषयों में बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह ठप है। उन्होंने बताया कि स्कूल में एक मुख्य अध्यापक, एक संस्कृत अध्यापक, और एक कला अध्यापक नियुक्त है इसके अलावा किसी भी विषय का अध्यापक नियुक्त नहीं किया गया है।
जिससे बच्चे हिंदी, सामाजिक विज्ञान, शारीरिक शिक्षा, विज्ञान, अंग्रेजी और गणित विषयों की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं ।
उन्होंने बताया कि इस को लेकर ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। शिक्षा विभाग व सरकार को कई बार अध्यापकों की कमी से अवगत करवा दिया गया है । लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार ग्रामीणों ने रोष स्वरूप स्कूल के मेन गेट पर ताला लगाने का फैसला किया। इनका कहना है कि आजादी से पहले और आजादी के बाद भी भारतीय सेना में गांव के सबसे ज्यादा फौजी कार्यरत रहे हैं। लेकिन अब सरकार ने स्कूलों में अध्यापकों की कमी करके बच्चों को अनपढ़ रखने का अभियान चला रखा है। जिससे आगे आने वाली पीढ़ी अनपढ़ ही रह जाएगी। ग्रामीणों ने स्कू ल के मेन गेट पर ताला लगाकर सरकार व शिक्षा विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। करीब 3 घंटे तक स्कूल को बंद रखा गया। इस दौरान खंड शिक्षा अधिकारी के प्रतिनिधि के तौर पर प्राचार्य ओमप्रकाश को ग्रामीणों को समझाने के लिए भेजा गया। ओम प्रकाश द्वारा ग्रामीणों की बात उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने के आश्वासन के बाद ग्रामीण शांत हुए और मुख्य द्वार को खोला गया।
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