गोगामेड़ी। लोक देवता जाहरवीर गोगाजी महाराज की याद में लगातार एक माह तक लगने वाले गोगामेड़ी मेले का 11 अगस्त, गुरूवार को राष्ट्रीय ध्वजारोहण के साथ विधिवत रूप से शुभारम्भ होगा। भादरा विधानसभा क्षेत्र के गांव गोगामेड़ी में लगने वाले इस लक्खी मेले में देश भर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है। उत्तर भारत के प्रसिद्ध धर्म-धाम गोगामेड़ी मेला मे आने वाले श्रद्धालुओं व आस इलाके की सुरक्षा एवं मेला क्षेत्र में कानून व्यवस्था कायम रखने के लिहाज से पुलिस ने पुख्ता इंतजाम किए है।
गोगामेड़ी पुलिस थाना प्रभारी अजय कुमार ने बताया कि गोगाजी महाराज के श्रद्धालु हमारे मेहमान है इनकी सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य है। ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि को देखते हुए गोगाजी मेला क्षेत्र को चार सैक्टर में बांटा गया है। जिसमें गोगाजी का मुख्य मंदिर व स्माधि स्थल को सैक्टर एक में और मेला बाजार को सैक्टर दो व गौरक्षटीला मंदिर गोगाणा को सैक्टर तीन तथा मेले की यातायात व्यवस्था को सैक्टर चार में शामिल किया गया है। मेले के चारों सैक्टरों में सैंकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मियों का अलग-अलग जाप्ता तैनात रहेगा। हनुमानगढ जिला पुलिस अधीक्षक डॉ. अजयसिंह के निर्देशन में नोहर एडीशनल एसपी सुरेश कुमार जांगीड़, भादरा डीएसपी सुनिल कुमार झाझड़िया की मौजूदगी में डीएसपी, सीआई, एसआई व एएसआई, हैड कानि., कानि. समेत महिला पुलिस जवान तैनात रहेगें, जो गोगाजी मेला के विशेष पर्व के दौरान दो शिफ्टों में तैनात रहेगें।
थानाधिकारी अजय कुमार ने बताया कि पुलिस रैंज बीकानेर से जिला चुरू, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ से पुलिस अधिकारियों सहित पुलिस जवानों का जाप्ता पुरे एक महिने तक तैनात रहेगा। जिसमें घुड़सवार, यातायात पुलिसकर्मी, महिला पुलिसकर्मी, आरएसी, होमगार्ड व सादावर्दी में पुलिसकर्मी मेले में कानून व्यवस्था को संभालेगें। उन्होने बताया कि पुरा मेला क्षेत्र सीसीटीवी कैमरों की नजर में रहेगा। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि को लेकर अभी से एडीशनल एसपी सुरेश कुमार जांगीड़, डीएसपी सुनिल कुमार झाझड़िया व गोगामेड़ी थाना प्रभारी अजय कुमार स्वयं मेला क्षेत्र में चौबिसों घंटे चप्पे चप्पे पर नजर रखते हुए सर्तकता बरत रहे है।
▪️ थानाधिकारी ने की अपील-*
गोगामेड़ी थानाधिकारी अजय कुमार ने अपील करते हुए कहा कि गोगामेड़ी मेले में पधारने वाले श्रद्धालुगण व आमजन किसी भी प्रकार के आभूषण न पहन कर आएं, अपने छोटे बच्चों को भीड़ में अकेला ना छोड़े, अपने मोबाईल नंबर लिखी हुई पर्ची अपने बच्चों की जेब में रखें, जेबकतरों व उठाईगिरों से सावधान रहे, अनजान व्यक्ति से किसी भी तरह की खाने-पीने की वस्तु ना खायें। इसके साथ ही थानाधिकारी ने गोगामेड़ी के आस-पास क्षेत्र के ग्रामिणों से भी अपील की है कि वे गोगामेड़ी मेला के दौरान रात्रि को गांव के मोहल्लों में ठिकरी पहरा दें ताकि इलाके में किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना घटित होने से रोका जा सके।
सांप्रदायिक
सद्भावना का प्रतीक गोगामेड़ी मेला 11 से, हिन्दू व मुसलमान सहित सभी बिरादरी के लोग पूरे
भादो मास लगाते हैं एक साथ धोक, हरियाणा, यूपी सहित देश के कोने कोने से आते हैं
श्रद्धालु,
हरियाणा
सीमा से सटे राजस्थान के पवित्र स्थल गोगामेड़ी में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला
सांप्रदायिक सद्भावना के प्रतीक गोगामेड़ी
मेले में श्रद्धालु पहुंचने शुरू हो गए है। मेला परिसर में दुकानें व बाजार सजने
शुरू हो गये हैं। मेला औपचारिक रूप से 11 अगस्त से ध्वजारोहण से शुरू होगा। 10 सितम्बर तक चलने वाले मेले में कृ ष्ण पक्ष का मुख्य पर्व 19 व 20 अगस्त को गोगानवमी पर व शुक्ल पक्ष का मुख्य
पर्व 4 व 5 सितंबर को होगा। गोगामेड़ी के गोगाजी मन्दिर में हिन्दू व मुसलमान सहित
सभी बिरादरी के लाखों श्रद्धालु एक साथ पूजा अर्चना करते है। हिन्दू गोगाजी को वीर
के रूप में पूजते हैं। तथा मुसलमान पीर के रूप में सजदा करते है। एक माह तक चलने
वाले मेले के लिए देवस्थान विभाग राजस्थान व हनुमानगढ़ जिला प्रशासन ने पूरी
तैयारी में जूटा हुआ है। गोगामेड़ी में गुरू गोरख नाथ की जय,जाहरवीर की जय, गोगापीर की जय के गगनभेदी जयकारे गूंजने लगे हैं। गोगामेड़ी हरियाणा की सीमा
से मात्र 10 किलोमीटर दूर राजस्थान
के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। हरियाणा के सभी जिलों से गोगामेड़ी के लिए एक माह
तक बसें चलाई जाती हैं।
देश के कोने से
सभी धर्मों के लोग आते सजदा करने
हिन्दू, मुस्लिम, प्रत्येक वर्ग व
धर्म के लोगों की आस्था के प्रतीक उतर भारत के प्रसिद्व मेले गोगामेडी़ में
हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, उतरप्रदेश,
मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात व हिमाचल
प्रदेश से लाखों लोग लोक देवता गोगा जी की समाधि पर धोक लगाने व सजदा करतेे
हैं। गोगा जी को हिन्दू लोग वीर के रूप
में तथा मुस्लिम पीर के रूप में पूजते हैं। गोगा जी की समाधि उनके मस्जिदनुमा
मंदिर में स्थित है। जिसका हाल ही में जीर्णोंद्धार किया गया। जिससे मंदिर दूर से
ही आकर्षक नजर अने लगा है। समाधि पर अश्वारोही गोगा जी की मूर्ति उत्र्कीण है।
गुरू शिष्य परंपरा के अनुसार गोगामेडी़ आने वाले श्रद्धालु पहले गोगाजी के मंदिर
से दो किलामीटर दूर गोगाणा में पवित्र तालाब में स्नान कर गुरू गोरखनाथ के धुणे पर
शीश नवातें हैं। बाद में गोगामेड़ी मंदिर में गोगाजी की समाधी पर पूजा अर्चना
करते है। तथा प्रसाद के रूप में नारियल,
खील, मिठाई, नीली ध्वजा, चद्दर, इत्र, धूप, पैसे व साने चान्दी के छत्र इत्यादि सामग्री
चढाई। गोगा जी की समाधी पर धोक लगाने के
बाद श्रद्धालु नाहर सिंह पांडे, माता बाछल,
रानी सिरीयल, भजू कोतवाल, रतना हाजी,
सबल सिंह बावरी, केसरमल, जीतकौर, श्याम कौर, भाई मदारण का समाधियों पर धोक लगाते है। तपती रेत व सड़कों पर
पेट के बल कनक दण्डवत कर पहुँच रहे लोगों की श्रद्धा देखते ही बनती है। ढोल नगाडों
पर नाचते गाते डमरू व सारंगी की लय पर आगे बढते श्रद्धालू गुरू गोरख नाथ की जय,जाहरवीर की जय,गोगापीर की जय,के गगनभेदी जयकारों से वातावरण पूरे भादो मास गुंजायमान रहता हैं।
मेला परिसर में मनिहारी बाजार, लाठी बाजार ढोलक बाजार, फोटो बाजार,
पुस्तक बाजार, मूर्ति बाजार, खिलौनों आदी की दुकानें सजने लगी है।
गोगाजी के रात्री
जागरण में समइया सुनाते है गोगाजी के चमत्कार के किस्से
भाद्रपद महीने
में चलने वाले रात्री जागरणों में गोगाजी के जन्म, विवाह, युद्व व पृथ्वी
में समाने व उनके देवीय चमत्कार के किस्से जागरणकर्ताओं (जिन्हे समइया कहते
हैं)द्वारा श्रद्धालुओं को सुनाए जाते हैं किवदंतियों के अनुसार गोगाजी की माता
बाछल के कोई संतान नहीं थी माता बाछल ने गोरखटीला पर गुरू गोरखनाथ की पूजा पुत्र प्राप्ति
के लिए की थी । महान योगी गुरू गोरखनाथ की कृपा से गोगाजी की उत्पति हुई। ये गुरू
गोरखनाथ के परम शिष्य हुए। गोगा जी को सर्पो के देवता के रूप में भी पूजा जाता है।
गोगाजी के भक्तो को छाया घोट आती है तो वे मस्त होकर नाचने लगते हैं। तथा शरीर पर
लोहे की सांकल(छड़ी )से अपने शरीर पर प्रहार करने लगते हैं।
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