नरेश बैनीवाल 9896737050 Choptaplus News सिरसा जिला के पैंतालिसा क्षेत्र के किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से खेती करके कमाई कर रहे हैं। किसान बागवानी, पशुपालन, सब्जियां इत्यादि लगाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना रहे हैं। यह क्षेत्र राज्य के अंतिम छोर पर पड़ने के कारण हमेशा ही खेती के लिए आवश्यक सुविधाओं की कमी से जूझता रहता है, क्षेत्र के किसान आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में नए-नए तरीकों की खोज करने में लगे रहते हैं इसी कड़ी में गांव दड़बा कलां ( सिरसा) के किसान नंदराम बिशु ने 2 साल पहले अढाई एकड़ जमीन में अनार का बाग लगा कर परंपरागत खेती के साथ बागवानी खेती शुरू की है।
इस समय अनार पक्कर तैयार हो गए हैं। इनकी हार्वेस्टिंग करनी है। नंद राम का कहना है कि जब तक अनार के पौधे फलदार नहीं हुए तब तक उसने इन पौधों की कतारों में तरबूज और घीया लगा कर कमाई करने का जरिया खोजा है। इसी के तहत तरबूज से करीब 40000 रुपए और घीया से 100000 रुपए की कमाई की है। इसके साथ ही सरसों और चने की बिजाई करके भी पैदावार ली गई है। किसान नंदराम का कहना है कि परंपरागत खेती के साथ-साथ बागवानी, फल सब्जियां इत्यादि लगाकर किसान आत्मनिर्भर बन सकते हैं। रेतीले इलाके के लिए चुनी अनार की बेस्ट वैरायटी, अनार का गहरा लाल रंग और ज्यादा मिठास बन रही है लोगों की पहली पसंद
प्रगतिशील किसान विरेन्द्र सहू से प्रेरणा लेकर लगाया बाग, बढी आमदनी--- दड़बा कलां के प्रगतिशील किसान नंदराम बिशु ने बताया कि नहरी पानी की कमी, प्राकृतिक आपदाओं, बीमारियों इत्यादि से परंपरागत खेती में फसलों का उत्पादन कम होने लगा और बचत भी नहीं हो पा रही थी।
ऐसे में उसने 12वीं की पढ़ाई करने के बाद खेती में आमदनी बढ़ाने का जरिया खोजना शुरू किया तो प्रगतिशील किसान विरेन्द्र सहू से प्रेरणा लेकर उन्होंने नासिक महाराष्ट्र से अनार के सुपर भगवा किस्म 1000 पौधे लाकर अढाई एकड़ जमीन में अनार का बाग लगाया। जिसमें जब तक कम ही फल लगने शुरू हुए हैं तो उन्होंने अनार के बाग वाली पौधों की कतारों के बीच 1 एकड़ में तरबूज लगाया। जिससे उसे 40000 रुपए की पैदावार हुई। इसके साथ ही घीया से करीब एक लाख रुपए की कमाई हुई, इसी के साथ इसी जमीन में सरसों और चने की पैदावार भी ली है। इस समय अनार के पौधों पर अनार के फल पक कर तैयार हो गए हैं। और इनकी हार्वेस्टिंग की जानी है।
नंद राम ने
बताया कि उन्होंने सरकार की सहायता से खेत में पानी की डिग्गी बना ली है जिसमें
पानी एकत्रित कर लिया जाता है। और जब जरूरत होती है तो उस पानी से ड्रिप सिस्टम
द्वारा सिंचाई कर पौधों को खाद और पानी सीधा जड़ो में दिया जाता है जिससे एक तो
पानी की बचत होती है और पौधों को जरूरत के हिसाब से पानी व खाद इत्यादि मिल जाती है । यह सब सरकार के
सहयोग से मिला है।
चोपटा में मंडी
व वैक्सिंग प्लांट लगाया जाए-- नंद राम ने बताया कि उसके गांव से फलों की मण्डी दूर पड़ती है। जिससे फलों को वहां ले जाकर
बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है। इसके अलावा नजदीक में
कोई वैकिसंग प्लांट भी नहीं है जिसमें की फलों को संभाल कर रखा जाए। उसका कहना है कि अगर फलों व सब्ज़िय की मण्डी
नाथूसरी चोपटा में विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी।
तथा एक वैक्सिंग प्लांट लगाया जाए।
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