दो किसान भाइयों ने 5 भैंस खरीदकर शुरू किया दूध बेचने का व्यवसाय छोटी कटडिय़ों को पालकर तैयार कर ली 27 भैंस, अब कर रहे कमाई

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दो किसान भाइयों ने 5 भैंस खरीदकर शुरू किया दूध बेचने का व्यवसाय छोटी कटडिय़ों को पालकर तैयार कर ली 27 भैंस, अब कर रहे कमाई


नरेश बैनीवाल नाथूसरी चोपटा। राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के पैंतालिसा क्षेत्र में रेतीली जमीन है तथा अन्तिम छोर पर पडऩे के कारण हमेशा सिंचाई के पानी की कमी रहती है। जब भी राजस्थान में सूखा या अकाल पड़ता है तो उसकी काली छाया इस क्षेत्र पर अवश्य पड़ती है। इसके अलावा कभी टिड्डी दल का हमला, कभी सूखा रोग, कभी औलावृष्टि आदि की मार से परंपरागत खेती से आमदनी कम हो जाती है। और आर्थिक स्थिति डावांडोल हो जाती है। लेकिन गांव कुम्हारिया के किसान बलवान बैनीवाल ने हौसला हारने की बजाए कमाई का जरिया खोजा। उसने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए अपने बड़े भाई हनुमान बैनीवाल के साथ मिलकर साल 2007 में 5 भैंस लेकर दूध बेचने का काम शुरू किया। इससे परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदन शुरू हो गई। अब दोनों भाइयों के पास 27 भैंस हैं |  लीक से हटकर कुछ करने के जज्बे ने बलवान सिंह बैनीवाल को हरियाणा के साथ-साथ निकटवर्ती राजस्थान के आस पास के गांवों में अलग पहचान भी दिलवाई। और कम उम्र में ही किसानों व पशुपालकों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया।   



5 भैंस से शुरू किया व्यवसाय,  छोटी कटडिय़ों को पालकर बढाया 
बलवान बैनीवाल ने बताया कि रेतीली जमीन व नहरी पानी की हमेशा कमी के कारण परंपरागत खेती में अच्छी बारिश होने पर तो बचत हो जाती वरना घाटा ही लगता। उसने खेती के साथ अन्य कमाई का जरीया खोजना शुरू किया तो अपने बड़े भाई हनुमान बैनीवाल के साथ मिलकर दूध बेचने को काम शुरू करने का मन बनाया। साल 2007 में दोनों भाइयों ने 5 भैंस खरीदकर दूध बेचने का काम शुरू किया। धीरे धीरे कमाई करके और भैंस खरीदकर दूध का कारोबार बढ़ा लिया। इसके साथ ही छोटी कटडिय़ों को पालना शुरू कर दिया। जिससे खेती के साथ साथ पशुपालन से बचत होने लगी। इसके साथ ही एक मुराह नस्ल का झोटा भी खरीद लिया। वर्तमान के उनके पास 27 भैंस है जिनके दूध से उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है। उन्होने बताया कि बिना किसी सरकारी सहायता के अपना खुद के पैसों से दूध का व्यवसाय शुरू किया है। उन्होंने बताया कि गांव के कई युवा उनके व्यवसाय को देखकर दूध बेचने के काम करने लगे हैं। जिससे उन्हें रोजगार मिल गया है। किसान खेती के साथ इस तरह के व्यवसाय से कमाई करके आत्म निभर बन सकते हैं।  
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इस साल खल- बिनोला व्  तुड़ी महँगी होने के कारण खर्चा ज्यादा हो रहा है, ज्यादा खर्चे के बावजूद दूध के दाम कम मिल रहे है| जिससे बचत कम हो रही है | 
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सरलता से मिले सरकारी सहायता
बलवान बैनीवाल ने बताया कि अगर सरकारी सहायता मिल जाए तो व्यवसाय को और ज्यादा बढ़ा सकता है। जिससे अन्य लोगों को भी रोजगार दिया जा सकता है। उसने बताया कि उसे पशुओं के लिए शैड बनवाना है जिसके लिए सरकार की तरफ सरलता से अनुदान मिल जाए तो पशुओं को गर्मी सर्दी से बचाया जा सकता है। इसके अलावा दुग्ध व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में पशु पालको ंकी समस्याओं को जल्द से जल्द हल करना चाहिए। 

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