गोगामेड़ी मेला में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू,11 अगस्त को होगी मेले की विधिवत शुरूआत, जानिए कैसे होता है मेंले का शुभारंभ

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गोगामेड़ी मेला में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू,11 अगस्त को होगी मेले की विधिवत शुरूआत, जानिए कैसे होता है मेंले का शुभारंभ

 



महेन्द्र सिंह वर्मा की क़लम से..

गोगामेड़ी। सांप्रदायिक सद्भावना के प्रतीक उत्तर भारत का प्रसिद्ध गोगामेड़ी मेला 11 अगस्त 2022, पुर्णिमा को विधिवत रूप से पुजा-अर्चना के बाद शुरू हो जायेगा। जिला कलक्टर हनुमानगढ़, देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त, अतिरिक्त जिला कलक्टर नोहर, भादरा व नोहर के उपखंड अधिकारी, नोहर व भादरा के तहसीलदार, भादरा विधायक बलवान पुनियां, नोहर विधायक अमीत चाचाण संयुक्त रूप से पूजा अर्चना के बाद राष्ट्रीय ध्वजारोहण कर लोक देवता जाहरवीर श्री गोगाजी महाराज की याद में भरने वाले गोगामेड़ी मेले का विधिवत रूप से शुभारंभ करेंगे।


 इस मौके पर स्कुली छात्राओं द्वारा राष्ट्रीय गान और गोगामेड़ी पुलिस थाने के पुलिसकर्मी सशस्त्र सलामी देगें। देवस्थान विभाग के सूत्रों ने बताया की गोगाजी के लक्खी मेले में श्रद्धालुओं के लिए विश्राम हेतु छाया, सफाई, सुरक्षा, पेयजल सहित अन्य सभी प्रकार की व्यवस्थाएं प्रशासन ने की है। जिला कलक्टर नथमल डिडेल स्वयं गोगामेड़ी में आकर मेला व्यवस्थाओं का समय-समय पर जायजा लेते हुए मेले का सफल संचालन करने के संबन्ध में अनेकों बार सभी विभागाध्यक्षों, कर्मचारियों की बैठके ले चुके है।  

वही देवस्थान विभाग हनुमानगढ़ के लेखाधिकारी अजय कुमार धुड़िया का कहना है कि विभाग की ओर से मेला व्यवस्था के पुख्ता प्रबंध किए गए है। उन्होंने बताया कि इस बार मेला क्षेत्र में छाया, विश्राम स्थल, पेयजल, सफाई, वाहन पार्किंग, चिकित्सा, रोशनी, बेरीकेट्स, सुलभ शौचालय, गोगाजी मंदिर सहितत पुरे मेला क्षेत्र में क्लॉज सर्किट कैमरों से निगरानी व्यवस्था समेत यात्री विश्राम आदि की सुव्यवस्था की है। 

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ट्रेन व अतिरिक्त बसों की व्यवस्था करवाई गई है। साथ ही उन्होने स्थानीय लोगों व मेला ठेकेदारों से मेले में व्यवस्था बनाने में सहयोग करने की अपील की है। गोगामेड़ी मेले में लोक देवता जाहरवीर श्री गोगाजी महाराज के दर्शन करने के लिए राजस्थान सहित देश भर के विभिन्न राज्यों से हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों के लाखों की तादाद में श्रद्धालु यहां आते है। 

पशु मेले से हुई थी शुरूआत- गोगामेड़ी का मेला वास्तव में उत्तर भारत का एक प्राचीन प्रसिद्ध विशाल पशु मेला है। धीरे-धीरे इस मेले के साथ लोक देवता जाहरवीर गोगाजी महाराज की आस्थाएं जुड़ती गई और आज यह मेला एक पशु मेला कम बल्कि लोक देवता गोगाजी का मेला प्रसिद्ध हो गया है।  

पशुपालन विभाग की कमजोरी के चलते देवस्थान विभाग ने मेले पर पूर्णतया कब्जा जमा लिया है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु इस मेले में आते हैं, हालांकि आज भी गोगामेड़ी मेले में राजकीय पशु ऊंट बिकने के लिए आते हैं। मेले के दूसरे पक्ष के समय पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं की कई प्रतियोगिताएं भी करवाई जाती हैं। खास बात तो यह देखने को मिलती है कि गोगामेड़ी मेले का शुभारंभ पशुपालन विभाग तथा समापन समारोह देवस्थान विभाग द्वारा किया जाता रहा है। 

सी.सी.टीवी कैमरों से रखी जाएगी निगरानीदेवस्थान विभाग के लेखाधिकारी अजय कुमार धुड़िया ने बताया कि मेले के दौरान सभी प्रकार की व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए सुरक्षा की दृष्टि से मेले को कुल पांच जोन में विभाजित किया गया है। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पूरे मेला क्षेत्र में भारी संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगाए जायेगें। इस बार वाहन पार्किंग सहित पुरे मेले में सीसीटीवी कैमरों की चप्पे-चप्पे पर नजर रहेगी। जिसका एक ही कन्ट्रोल रूम स्थापित किया जायेगा। सूत्रों के अनुसार मंदिर के चढावे में हो रही चोरी, छिज्जत व गबन जैसी घटनाओं को रोकने के लिए गोगाजी महाराज मंदिर में एक विशेष रूप से अलग ही कैमरा लगाया जायेगा, पुरे मेला क्षेत्र की गतिविधियों का सीधा प्रसारण मेला मजिस्ट्रेट कार्यालय, देवस्थान विभाग, अस्थाई पुलिस थाना में देखा जायेगा। इस बार मेला मजिस्ट्रेट कार्यालय का नवनिर्मित भवन विधिवत रूप से शुरू हो जायेगा। वहीं मेला क्षेत्र में गोगामेड़ी थानाप्रभारी अजय कुमार के नेतृत्व में अस्थाई पुलिस थाना शुरू होगा, मेले में महिला पुलिसकर्मी, आरएसी, होमगार्ड जवान, घुड़सवार पुलिसकर्मिर्यों सहीत सादा वर्दी में पुलिस जवान चौबिसों घंटों तैनात रहेगें।  

सजने लगे बाजार- आम दिनों में खाली सा पड़ा रहने वाला मेला स्थल पर इन दिनों काफी चहल-पहल है। मेला क्षेत्र में मिठाइयां, खिलौने, मनिहारी, नीले घोड़े, ढ़ोलक, मिट्टी के बर्तनों समेत लकड़ी की वस्तुओं की दुकानें सजने लगी हैं। रात्रि में गोगामेड़ी मेले की रौनक देश की राजधानी के बाजारों से कहीं कम दिखाई नहीं देती। सप्तमी, अष्टमी व नवमीं को भीड़ नियंत्रित करने के लिए बैरिकेट्स बनाए जा रहे हैं।


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