किसानों का कहना है कि ज्यादा बारिश फसलों के लिए नुकसानदक है। चोपटा खंड में करीब 68000 हेक्टेयर जमीन में खेती की जाती है जिसमें से 10000 हेक्टेयर जमीन सेम के चपेट में है उसमें करीब 25 वर्ष से एक दाना भी नहीं होता है। इसके अलावा करीब 62500 हेक्टेयर जमीन में इस बार 39700 हेक्टेयर में नरमे की फसल, 4500 हेक्टेयर में धान, 1990 हेक्टेयर में बाजरा, 110 हेक्टेयर में मक्का , 14800 हेक्टेयर में ग्वार और 1500 हेक्टेयर में हरे चारे व अन्य फसलों की बिजाई की गई है
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क्षेत्र के गिगोरानी, शाहपुरिया, नाथूसरी कला, शक्कर मंदोरी, माखोसरानी, कैरावली, रुपाणा गंजा, मोची वाली सहित कई गांवों में पिछले तीन दिनों से लगातार जोरदार बारिश हो रही है। खेतों में खड़ी फसलों में पानी खड़ा होने लगा है।
सावनी की फसल में सामान्य बारिश से आम तौर पर तो फायदा ही होता है । लेकिन इस बार ज्यादा बारिश होने से फसलों में पानी खड़ा रहने से नरमा , कपास इत्यादि फसलें खराब होने लगी गई है। जिससे उत्पादन नगण्य हो जाएगा है। इस बार शुरुआत में फसल अच्छी दिखाई दे रही थी। कड़ी मेहनत और खर्च के बावजूद भी जब पकने के नजदीक आई तो फसल ख़राब होने लगी । उनके तो अरमानों पर ही पानी फिर गया ।
सरकार को खराब हुई फसलों की जल्द से जल्द गिरदावरी करवाकर मुआवजा देना चाहिए। ---- किसान कृष्ण कुमार
पिछले तीन-चार दिनों से हो रही लगातार बारिश से चोपटा खंड में सावनी की फसल को काफी नुकसान हुआ है। इस बार खंड में 62500 हेक्टेयर में नरमा, कपास, ग्वार , बाजरा , मूंगफली , मक्का ,धान इत्यादि की बिजाई की गई है। ज्यादा नुकसान फसलों में पानी खड़ा रहने से हो सकता है ---- कृषि विकास अधिकार
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