NDA की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू देश की 15 वीं राष्ट्रपति होंगी।
वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी। गुरुवार को सुबह 11 बजे शुरू हुई काउंटिंग में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू ने यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (UPA) के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को तीसरे राउंड की गिनती में ही हरा दिया।मुर्मू को जीत के लिए जरूरी 5 लाख 43 हजार 261 वोट तीसरे राउंड में ही मिल गए। थर्ड राउंड में ही मुर्मू को 5 लाख 77 हजार 777 वोट मिले। वहीं यशवंत सिन्हा 2 लाख 61 हजार 62 वोट ही जुटा सके। इसमें राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों समेत 20 राज्यों के वोट शामिल हैं। बाकी के राज्यों की गिनती जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जेपी नड्डा ने मुर्मू के घर पहुंचकर उन्हें बधाई दी।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा स्पीकर ने भी दी बधाई
PM मोदी ने मुर्मू को बधाई देते हुए कहा- भारत ने इतिहास लिखा है। जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, पूर्वी भारत के एक सुदूर हिस्से में पैदा हुई एक आदिवासी समुदाय की बेटी को राष्ट्रपति चुना गया है। द्रौपदी मुर्मू को बधाई। निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने द्रौपदी मुर्मू को देश की नई राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी भारत के 15वें राष्ट्रपति चुने जाने पर द्रौपदी मुर्मू को बधाई दी।LIVEद्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति होंगी:तीसरे राउंड में ही 5.77 लाख वोट लेकर जीतीं, सिन्हा को 2.61 लाख वोट मिले; मोदी मिलने पहुंचे
NDA की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू देश की 15 वीं राष्ट्रपति होंगी। वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी। गुरुवार को सुबह 11 बजे शुरू हुई काउंटिंग में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू ने यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (UPA) के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को तीसरे राउंड की गिनती में ही हरा दिया।
मुर्मू को जीत के लिए जरूरी 5 लाख 43 हजार 261 वोट तीसरे राउंड में ही मिल गए। थर्ड राउंड में ही मुर्मू को 5 लाख 77 हजार 777 वोट मिले। वहीं यशवंत सिन्हा 2 लाख 61 हजार 62 वोट ही जुटा सके। इसमें राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों समेत 20 राज्यों के वोट शामिल हैं। बाकी के राज्यों की गिनती जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जेपी नड्डा ने मुर्मू के घर पहुंचकर उन्हें बधाई दी।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा स्पीकर ने भी दी बधाई
PM मोदी ने मुर्मू को बधाई देते हुए कहा- भारत ने इतिहास लिखा है। जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, पूर्वी भारत के एक सुदूर हिस्से में पैदा हुई एक आदिवासी समुदाय की बेटी को राष्ट्रपति चुना गया है। द्रौपदी मुर्मू को बधाई। निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने द्रौपदी मुर्मू को देश की नई राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी भारत के 15वें राष्ट्रपति चुने जाने पर द्रौपदी मुर्मू को बधाई दी।
द्रौपदी मुर्मू की जीत की बधाई देने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके घर पहुंचे। उनके साथ जेपी नड्डा भी मौजूद थे।
द्रौपदी मुर्मू की जीत की बधाई देने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके घर पहुंचे। उनके साथ जेपी नड्डा भी मौजूद थे।
यशवंत सिन्हा ने हार मानी, मुर्मू को दी बधाई
इधर, यशवंत सिन्हा ने भी हार मान ली है। उन्होंने मुर्मू को बधाई देते हुए कहा- द्रौपदी मुर्मू को उनकी जीत पर बधाई देता हूं। देश को उम्मीद है कि गणतंत्र के 15वें राष्ट्रपति के रूप में वे बिना किसी भय या पक्षपात के संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करेंगी।
मुर्मू को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा- राष्ट्रपति चुनाव में प्रभावी जीत दर्ज करने पर द्रौपदी मुर्मू को बधाई। वे गांव, गरीब, वंचितों के साथ-साथ झुग्गी-झोपड़ियों में भी लोक कल्याण के लिए सक्रिय रहीं हैं। आज वे उनके बीच से निकल कर सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचीं। यह भारतीय लोकतंत्र की ताकत है।फर्स्ट राउंड की गिनती: मुर्मू को 540 और सिन्हा को 208 सांसदों के वोट मिले
राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल पीसी मोदी के मुताबिक, दोपहर 2 बजे सांसदों के वोटो की गिनती पूरी हुई। इसमें द्रौपदी मुर्मू को 540 वोट मिले। इनकी कुल वैल्यू 3 लाख 78 हजार है। यशवंत सिन्हा को 208 सांसदों के वोट मिले। जिनकी वोट वैल्यू 1 लाख 45 हजार 600 है। सांसदों के कुल 15 वोट रद्द हो गए। सूत्रों के मुताबिक, 17 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की है।सेकेंड राउंड की गिनती: 10 राज्यों में मुर्मू को 809, सिन्हा को 329 वोट मिले
पहले 10 राज्यों की गिनती में भी मुर्मू और सिन्हा के बीच आंकड़ों का लंबा अंतर दिख रहा है। इन राज्यों में कुल 1138 वैलिड वोट थे, जिनकी वैल्यू 1 लाख 49 हजार 575 है। इनमें मुर्मू को 809 वोट मिले। इनकी वैल्यू 1 लाख 5 हजार 299 है। वहीं यशवंत सिन्हा को 329 वोट मिलें, जिनकी कुल वैल्यू 44 हजार 276 है।
इन 10 राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और झारखंड के अलावा आंध्र प्रदेश के वोट शामिल हैं। इनमें 7 राज्यों में भाजपा और गठबंधन की सरकारें हैं। वहीं झारखंड और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की सरकार है। आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी CM हैं, जिन्होंने NDA को समर्थन देने का ऐलान किया था।थर्ड राउंड की गिनती: मुर्मू को 812 और यशवंत सिन्हा को 521 वोट मिले
थर्ड राउंड के 10 राज्यों की गिनती में भी मुर्मू और सिन्हा के बीच आंकड़ों का लंबा अंतर रहा। इन राज्यों में कुल 1,333 वैलिड वोट थे, जिनकी वैल्यू 1 लाख 65 हजार 664 है। इनमें मुर्मू को 812 और यशवंत सिन्हा को 521 वोट मिले। इन 10 राज्यों में कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओड़िशा और पंजाब के वोट शामिल हैं।
जीत के इंतजार में जश्न मना रहे हैं।
मुर्मू के गांव समेत देशभर में जीत का जश्न
NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत के बाद उनके ओडिशा स्थित पैतृक गांव और देश के बाकी हिस्सों में जश्न का माहौल है। लोग ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के जरिए मुर्मू की जीत की खुशियां मना रहे हैं। ओडिशा के मयुरभंज जिले में रायरंगपुर कस्बे के मुर्मू के गांव और ससुराल में उनके चाहने वाले लड्डू बांटकर एक-दूसरे के साथ सेलिब्रेट कर रहे हैं।
25 को शपथ ग्रहण, भाजपा कार्यालय में जश्न की तैयारी
देश को पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिल गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई की मध्य रात्रि को खत्म हो रहा है। 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण होगा। भाजपा के दिल्ली हेड ऑफिस में भी जश्न की तैयारी है। इसमें जेपी नड्डा भी शामिल होंगे।
देशभर में जीत के बाद जुलूस निकालेगी भाजपा
मुर्मू की जीत के बाद भाजपा दिल्ली में विजय जुलूस निकालेगी। ऐसा पहली बार होगा, जब राष्ट्रपति की जीत के बाद जुलूस निकाला जाएगा। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा राजपथ तक इस जुलूस की अगुआई करेंगे। वहीं भाषण देंगे। पहली बार आदिवासी महिला के राष्ट्रपति चुने जाने का श्रेय PM मोदी को देंगे। हालांकि, जुलूस में मुर्मू शामिल नहीं होंगी।
मुर्मू की जीत से राजनीतिक मैसेज देने की तैयारी
द्रौपदी मुर्मू की जीत की घोषणा होते ही देशभर में जश्न शुरू हो गया। मुर्मू की जीत से BJP आदिवासी समुदाय सहित पूरे देश और खासतौर पर महिलाओं को खास संदेश देना चाहती है, ताकि मुख्य धारा से कटे इस समुदाय में राजनीतिक मैसेज जाए कि BJP ही एक ऐसी पार्टी है जो सत्ता के लिए नहीं बल्कि देश के वंचित तबकों और वर्गों के लिए काम करती है।
यही वजह है कि पार्टी कार्यकर्ताओं को जीत के बाद पोस्टर में द्रौपदी मुर्मू के साथ किसी और नेता की तस्वीर न लगाने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। माना जा रहा है कि पार्टी राष्ट्रपति चुनाव से ही 2024 में होने वाले आम चुनाव की तैयारी में जुट गई है।
ओडिशा का पहाड़पुर गांव। एंट्री गेट पर बैनर लगा है। जिसके दोनों तरफ द्रौपदी मुर्मू की बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगी हैं। लिखा है- राष्ट्रपति पद की प्रार्थिनी द्रौपदी मुर्मू, पहाड़पुर गांव आपका स्वागत करता है। यहीं पर एक बड़ी सी प्रतिमा लगी है, जो द्रौपदी के पति की है। जिस पर ओडिशा के दो महान कवियों सच्चिदानंद और सरला दास की कविता की पंक्तियां उकेरी हुई हैं।
यहां से करीब 2.5 किलोमीटर अंदर दाखिल होने पर एक स्कूल है। नाम- श्याम, लक्ष्मण, शिपुन उच्च प्राथमिक आवासीय विद्यालय। कभी यहां एक घर था। वही घर जहां 42 साल पहले देश की होने वाली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दुल्हन बनकर आईं थीं। तब न तो पक्की दीवारें थीं और न पक्की छत। खपरैल-फूस से बना घर और बांस का छोटा सा दरवाजा।
4 साल के भीतर इस घर ने 3 ट्रेजडी देखीं। एक के बाद एक 3 लाशें गांव में दफन हुईं। 2010 से 2014 के बीच द्रौपदी के 2 बेटों और पति की मौत हुई। बड़े बेटे की मौत रहस्यमयी ढंग से हुई थी। करीबियों ने बताया कि वह अपने दोस्तों के घर पार्टी में गया था। रात घर लौटा, कहा मैं थका हूं, डिस्टर्ब मत करना।
सुबह दरवाजा खटखटाया गया तो खुला नहीं। किसी तरह दरवाजा खोला गया तो वह मरा हुआ मिला। 2 साल बाद छोटे बेटे की मौत सड़क हादसे में हो गई। इस इमारत में कभी सन्नाटा ना पसरे, इसलिए द्रौपदी ने छात्र-छात्राओं का यहां आवास बनवा दिया।
द्रौपदी के जीवन की पहली ट्रेजडी, जिसका जिक्र गांव में कोई नहीं करता। उनकी पहली संतान की मौत। जो महज 3 साल की उम्र में दुनिया छोड़ गई।
इतना दुख। द्रौपदी ने सहा कैसे...
उनकी भाभी शाक्यमुनि कहती हैं, 'जब बड़े बेटे की मौत हुई तो द्रौपदी 6 महीने तक डिप्रेशन से उबर नहीं पाईं थीं। उन्हें संभालना मुश्किल हो रहा था। तब उन्होंने अध्यात्म का सहारा लिया। शायद उसी ने उन्हें पहाड़ जैसे दुखों को सहने शक्ति दी।'
वे कहती हैं, 'जो द्रौपदी बड़े बेटे की मौत से टूट गई थी, उसी द्रौपदी ने छोटे बेटे की मौत की खबर फोन पर देते वक्त कहा- रोकर घर मत आना। जैसे सामान्य समय में घर में मेहमान आते हैं वैसे आना।'
सदमे से उबरने के लिए ध्यान का रूख किया, एक दिन भी रूटीन मिस नहीं करतीं
रायरंगपुर में ब्रह्मकुमारी संस्थान की मुखिया सुप्रिया कहती हैं, 'जब बड़ा बेटा खत्म हुआ था तो द्रौपदी बिल्कुल हिल गईं थीं। उन्होंने अपने घर हमें बुलाया और कहा कि कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करें?'
मैंने कहा- आप सेंटर पर आइए। आपके मन को शांति मिलेगी। फिर वह सेंटर पर आने लगीं। वक्त की पाबंद इतनी कि कभी हम लोग भी 5 मिनट लेट हो जाते थे, पर वह कभी नहीं हुईं। 2014 तक तो वह सेंटर आती रहीं। गवर्नर बनने के बाद एक दो बार ही आईं, लेकिन उनका ध्यान कभी नहीं छूटा। रूटीन कभी नहीं टूटा। वो जितनी मिलनसार हैं, उतनी ही डाउन टु अर्थ। अंह तो किसी बात का है ही नहीं। उनके अपने छूटे तो उन्होंने दूसरों को अपना बना लिया।'
वे कहती हैं, 'द्रौपदी अपने साथ हमेशा एक ट्रांसलाइट और शिव बाबा की छोटी पुस्तिका रखती हैं। ताकि कहीं दूसरी जगह जाने-आने पर भी उनका ध्यान का क्रम न टूटे। उम्मीद है कि राष्ट्रपति बनने के बाद भी वो इसे जारी रखेंगी।'
हर रोज सुबह साढ़े तीन बजे जाग जाती हैं
उसी गांव की रहने वाली सुनीता मांझी, पिछले साल दिसंबर में द्रौपदी मुर्मू के साथ रही थीं। कहती हैं, 'द्रौपदी जी कितनी भी व्यस्त रहें, लेकिन ध्यान, सुबह की सैर और योग कभी नहीं छोड़ती थीं। हर रोज सुबह 3.30 बजे बिस्तर छोड़ देती थीं।'
उनके करीबी और रायरंगपुर में एमपी के रिप्रेजेंटेटिव संजय महतो कहते हैं, 'मुर्मू के गवर्नर रहते हुए झारखंड राजभवन के दरवाजे सबके लिए खुले रहते थे। किसी ने मिलने की इजाजत मांगी तो जवाब हां में ही मिला। उन्होंने अपने पुराने दिनों को खुद पर हावी नहीं होने दिया।'
गवर्नर रहते अपनी पार्टी की सरकार का बिल लौटा दिया था
द्रौपदी बचपन से ही दृढ़ और सच के साथ मजबूती से डटे रहने वाली रही हैं। एक किस्सा याद करते हुए मुर्मू को पढ़ाने वाले बासुदेव बेहरा कहते हैं, 'वो क्लास टॉपर थीं। हमेशा सबसे ज्यादा नंबर उन्हीं के आते थे। नियम के मुताबिक मॉनिटर उन्हें ही बनना चाहिए था, लेकिन क्लास में लड़कियों की संख्या काफी कम थी। 40 छात्रों में सिर्फ 8 लड़कियां थीं।
इस वजह से हमारे मन में शंका थी कि लड़की होकर वो पूरे क्लास को कैसे संभालेंगी, लेकिन द्रौपदी अड़ गईं। आखिरकार वही मॉनिटर बनीं।'
इसकी एक और बानगी पढ़िए। साल 2017 की बात है, तब मुर्मू झारखंड की राज्यपाल थीं। भाजपा की सरकार सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक लेकर आई थीं। तब मुर्मू ने उस विधेयक को वापस कर दिया था। उन्होंने आदिवासियों के हित को दरकिनार करने और इस बिल के मकसद पर सवाल उठाए थे।
पहली कड़ी में आपने पढ़ा- द्रौपदी का प्रेम विवाह हुआ था, दहेज में मिली एक गाय, एक बैल और 16 जोड़ी कपड़े
द्रौपदी की भाभी शाक्यमुनि कहती हैं, 'पिताजी यानी बिरंची नारायण टुडू को जब उनके प्रेम के बारे में पता चला तो वे द्रौपदी से गुस्सा हो गए। वे इस रिश्ते से खुश नहीं थे, लेकिन पहाड़पुर के श्याम भी ठानकर आए थे कि द्रौपदी से संबंध पक्का करके ही जाएंगे। उन्होंने अपने रिश्तेदारों के साथ तीन-चार दिन के लिए उपरवाड़ा गांव में डेरा डाल लिया था। उधर द्रौपदी ने भी मन बना लिया था कि शादी करुंगी तो उन्हीं से।'
0 टिप्पणियाँ