गोवंश में लंपी स्कीन डिजीज (ढेलेदार त्वचा रोग) से पशुपालन विभाग अलर्ट मोड पर है। हनुमानगढ़ जिले में अब तक 37405 पशुओं के सर्वे में 1386 पशु लंपी रोग से ग्रस्त मिले हैं जिसमें 36 पशुओं की मौत हो चुकी है। राहत की बात है कि इसमें डेथ रेट महज 2 फीसदी जबकि रिकवरी रेट अधिक है। अब तक रोग से ग्रस्त मिले पशुओं में से 397 पशु बीमारी को मात देकर रिकवर हो चुके हैं।
हालांकि विभाग ने एहतियातन पशुपालकों को पशुओं के रखरखाव के साथ ही बीमारी के लक्षणों को लेकर जागरूक रहने की हिदायत दी है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक ओपी किलानिया ने बताया कि यह बीमारी संक्रमित पशु के संपर्क में आने या किलनी, मच्छर एवं मक्खी द्वारा दूसरे पशुओं में फैलती है। लंपी स्कीन डिजीज की अभी तक वैक्सीन नहीं आई है। पशुओं को संक्रमित पशुओं से दूर रखकर ही या समय पर उपचार से ही बचाया जा सकता है।
एडवाइजरी- स्वस्थ व बीमार पशुओं में डिस्टेंसिंग रखें
विभाग ने बीमारी को फैलने से रोकने के लिए पशुपालकों से अपील की है कि स्वस्थ व बीमारी पशुओं को अलग-अलग कर दें। पशुपालकों ने बचाव को लेकर ध्यान नहीं दिया तो एक-दूसरे मवेशी के संपर्क में आने से फैलने वाली वायरस यह बीमारी पूरे जिले में फैल सकती है। इससे मवेशियों की दिक्कत तो बढ़ेगी ही, रोग की जद में आने वाले दुधारू मवेशियों के चलते दुध उत्पादन पर असर पड़ेगा। इससे पशुपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
रावतसर और संगरिया में मिले अधिक संक्रमित पशु
विभाग के सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक लंपी रोग से रावतसर ब्लॉक में 371, संगरिया में 283, टिब्बी 151, हनुमानगढ़ 213, पीलीबंगा 138, नोहर 117, भादरा ब्लॉक में 113 पशु संक्रमित मिले हैं। इसमें 1039 पशु उपचाराधीन हैं। वहीं 397 रिकवर हो चुके हैं। रावतसर में 9, संगरिया 12, हनुमानगढ़ 9, पीलीबंगा 3 एवं नोहर में 3 गोवंश की मौत हो चुकी है।
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