बिजली संकट का असर सीधे-सीधे प्रदेश की जनता, खेती और उद्योगों पर, अडानी के आगे नतमस्तक खट्टर सरकार: अभय सिंह चौटाला

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बिजली संकट का असर सीधे-सीधे प्रदेश की जनता, खेती और उद्योगों पर, अडानी के आगे नतमस्तक खट्टर सरकार: अभय सिंह चौटाला





चंडीगढ़, 2 मई: इनेलो प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि प्रदेश में बिजली संकट दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है, चारों ओर हाहाकार मचा है और भाजपा सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। प्रदेश के जितने भी पावर प्लांट्स हैं वो भाजपा सरकार की अनदेखी के कारण ठप्प पड़े हैं। बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए थर्मल प्लांट्स की सर्विस ठीक समय पर नहीं की जाती, थर्मल को चलाने के लिए मशीनों के स्पेयर पाटर््स समय पर बदले नहीं जाते, कोयले की क्वालिटी पर ध्यान नहीं दिया जाता।
  बिजली संकट का असर सीधे-सीधे प्रदेश की जनता, खेती और उद्योगों पर पड़ रहा है। लगभग 5 लाख श्रमिकों का रोजगार छिन चुका है, उद्योगों में उत्पादन 65 फीसदी तक घट गया है, डीजल के ज्यादा इस्तेमाल से लागत 10-15 प्रतिशत बढ़ गई है।


नार्दर्न रीजऩल लोड डिस्पैच सेंटर के मुताबिक मुंद्रा (गुजरात), महेंद्रगढ़ (हरियाणा) की बिजली सप्लाई लाइन में बिजली आने की बजाय उल्टा बिजली मुंद्रा भेजी जा रही है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने भी स्पष्ट किया है कि अडानी पावर द्वारा हरियाणा डिस्कॉम के साथ समझोते के अनुसार 1424 मेगावाट बिजली की आपूर्ति मुंद्रा महेंद्रगढ़ पारेषण लाइन से की जानी थी लेकिन पिछले 8 महीनों से हरियाणा को कोई बिजली नहीं दी गई। उल्टा गुजरात को 487 मेगावाट बिजली इसी लाइन से दी जा रही है जो लगभग 2356 लाख यूनिट बनती है।
उद्योगपति अडानी के आगे नतमस्तक भाजपा की खट्टर सरकार ने अडानी पावर को 1424 मेगावॉट बिजली देने के लिए बाध्य करने की बजाय एमबी पॉवर, मध्यप्रदेश से रूपए 5.70 प्रति यूनिट और आरकेएम पॉवर, छत्तीसगढ़ से रूपए 5.75 प्रति यूनिट की दर से तीन साल के लिए बिजली खरीदने का निर्णय लिया है।



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