गांव शाहपुरिया के प्रगतिशील किसान राजवीर सिंवर से प्रेरणा लेकर लगाया बाग, बढी आमदनी
जमाल के प्रगतिशील किसान शंकरलाल सहारण ने बताया कि नहरी पानी की कमी, प्राकृतिक आपदाओं, बीमारियों इत्यादि से परंपरागत खेती में फसलों का उत्पादन कम होने लगा और बचत भी नहीं हो पा रही थी। ऐसे में उसने खेती में आमदनी बढ़ाने का जरिया खोजना शुरू किया तो गांव शाहपुरिया के प्रगतिशील किसान राजवीर सिंवर से प्रेरणा लेकर उन्होंने डेढ़ एकड़ जमीन में अनार का बाग लगाया। जिसमें 500 पौधे लगाए । इसमें अभी तक कम ही फल लगने शुरू हुए हैं तो उन्होंने अनार के पौधों की कतारों के बीच डेढ एकड़ में तरबूज, पीला तरबूज, लाल तरबूज, पीला खरबूजा, चाइनीस खीरा, तोरी, ककड़ी, घिया आदि सब्जियां लगाई जिससे उसे करीब डेढ लाख रुपए की कमाई हुई । उन्होंने बताया कि वे अधिकतर बागवानी खेती में जैविक खाद का प्रयोग करते हैं । जब तक अनार के पौधे पूरी तरह फलदार नहीं हो जाते तब तक वह इनकी कतारों में सब्जियां इत्यादि लगाकर अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें दोहरा लाभ हो रहा है । उन्होंने बताया कि जमाल तथा निकटवर्ती गांवों के लोग सहारण जैविक अनार फार्म जमाल से ही सब्जियां फल खरीद कर ले जाते हैं। और काफी पसंद करते हैं। आधुनिक तरीके से खेती करके किसान शंकरलाल सहारण हरियाणा तथा निकटवर्ती राजस्थान के गांव में प्रेरणा स्रोत बन गया है ।
शंकरलाल सहारण ने बताया कि उन्होंने सरकार की सहायता से खेत में सोलर सिस्टम से नलकूप लगाया हुआ है और जिससे जब जरूरत होती है ड्रिप सिस्टम द्वारा सिंचाई कर पौधों को पानी सीधा जड़ों में दिया जाता है । जिससे एक तो पानी की बचत होती है और पौधों को जरूरत के हिसाब से पानी व खाद इत्यादि मिल जाती है । यह सब सरकार के सहयोग से मिला है।
कृषि विभाग के अधिकारी समय रहते बताएं उत्पादन बढ़ाने के तरीके
किसान शंकरलाल का कहना है कि समय-समय पर कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा क्षेत्र के किसानों को फल सब्जियों में फैलने वाली बीमारियों से अवगत कराया जाना चाहिए । जिससे समय रहते दवाइयों का छिड़काव करके बीमारियों को काबू किया जा सके और उत्पादन अच्छा हो सके । साथ ही उन्होंने बताया कि उसके गांव से सिरसा मण्डी दूर पड़ती है। जिससे फलों को वहां ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है। इसके अलावा नजदीक में कोई वैकिसंग प्लांट भी नहीं है जिसमें की फलों को संभाल कर रखा जाए। उसका कहना है कि अगर फलों व सब्जियों की मण्डी नाथूसरी चोपटा में विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी। तथा एक वैक्सिंग प्लांट लगाया जाए।
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