कुम्हारिया के किसान मोहर सिंह न्योल ने 3 एकड़ रेतीली जमीन में अनार का बाग और सब्जियां लगाकर खोजा लाखों रुपए की कमाई का जरिया

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कुम्हारिया के किसान मोहर सिंह न्योल ने 3 एकड़ रेतीली जमीन में अनार का बाग और सब्जियां लगाकर खोजा लाखों रुपए की कमाई का जरिया

चौपटा (सिरसा) राजस्थान की सीमा से सटे पैंतालिसा क्षेत्र के किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से बागवानी, पशुपालन, सब्जियां इत्यादि लगाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना रहे हैं। यह क्षेत्र राज्य के अंतिम छोर पर पड़ने के कारण हमेशा ही नहरी पानी की कमी से जूझता रहता है,  क्षेत्र के किसान आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में नए-नए तरीकों की खोज करने में लगे रहते हैं इसी कड़ी में क्षेत्र के अंतिम छोर पर पड़ने वाले गांव कुम्हारिया ( सिरसा) के किसान मोहर सिंह न्योल ने 2 वर्ष पहले तीन एकड़ रेतीली जमीन में अनार का बाग लगाकर परंपरागत खेती के साथ बागवानी खेती शुरू की है। मोहर सिंह न्योल का कहना है कि जब तक अनार के पौधे फलदार नहीं होते तब तक उसने इन पौधों की कतारों में तरबूज, खीरा, ककड़ी, घिया, टिंडा आदि सब्जियां लगा कर कमाई करने का जरिया खोजा है।  अभी अनार के बाग से कमाई नहीं हुई हैं । तरबूज से 1 लाख रुपए और अन्य सब्जियों से 1 लाख रुपए में बेचकर कमाई की है। किसान मोहर सिंह का कहना है कि परंपरागत खेती के साथ-साथ बागवानी, फल सब्जियां इत्यादि लगाकर किसान आत्मनिर्भर बन सकते हैं।




कुम्हारिया के प्रगतिशील किसान मोहर सिंह न्योल ने बताया कि नहरी पानी की कमी, प्राकृतिक आपदाओं, बीमारियों इत्यादि से परंपरागत खेती में फसलों का उत्पादन कम होने लगा और बचत भी नहीं हो पा रही थी। ऐसे में उसने खेती में आमदनी बढ़ाने का जरिया खोजना शुरू किया तो  उसके पुत्र रोहतास न्योल ने समाचार पत्रों में बागवानी के बारे पढ़कर तीन एकड़ जमीन में अनार का बाग लगाया । इसमें अभी तक कम ही फल लगने शुरू हुए हैं तो उन्होंने अनार के पौधों की कतारों के बीच तीन एकड़ में तरबूज, खीरा, टिंडा, ककड़ी, घिया आदि सब्जियां लगाई जिससे उसे करीब 2 लाख रुपए की कमाई हुई । उन्होंने बताया कि वे अधिकतर बागवानी खेती में जैविक खाद का प्रयोग करते हैं । जब तक अनार के पौधे पूरी तरह फलदार नहीं हो जाते तब तक वह इनकी कतारों में सब्जियां इत्यादि लगाकर अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें दोहरा लाभ हो रहा है ।


 उन्होंने बताया कि कुम्हारिया, खेड़ी, गुसाईआना तथा निकटवर्ती गांवों के लोग उनके खेत की सब्जियां काफी पसंद करते हैं। आधुनिक तरीके से खेती करके किसान मोहर सिंह न्योल हरियाणा तथा निकटवर्ती राजस्थान के गांव में प्रेरणा स्रोत बन गया है । 


 

किसान मोहर सिंह का कहना है कि उसके गांव से सिरसा मण्डी दूर पड़ती है। जिससे फलों को वहां ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है। इसके अलावा नजदीक में कोई वैकिसंग प्लांट भी नहीं है जिसमें की फलों को संभाल कर रखा जाए।  उसका कहना है कि अगर फलों व सब्जियों की मण्डी नाथूसरी चोपटा में विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी। तथा एक वैक्सिंग प्लांट लगाया जाए । 

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