नरेश बैनीवाल, चौपटा (सिरसा) राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के पैंतालिसा क्षेत्र के गांव, जोड़कियां में हमेशा ही नहरी पानी की कमी के कारण अधिकतर जमीन बरानी है । ज्यादातर खेती बारिश पर निर्भर होती है। समय पर बारिश होने से फसलों का उत्पादन अच्छा हो जाता है और बारिश ना होने पर जमीन खाली रह जाती है। ऐसे में किसानों की आर्थिक स्थिति डावांडोल रहती है। लेकिन वर्तमान समय में किसान परम्परागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से फल, सब्जियां आदि लगाकर कमाई करने में लगे हुए हैं।
इसी कड़ी में परंपरागत खेती में घाटे के चलते अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए गांव जोड़कियां (सिरसा) के 2 किसान भाइयों प्रेमसुख और महावीर सिंवर ने अपने खेत में बरानी जमीन में 1 एकड़ में तरबूज, तोरी, टिंडे, बंगा, तर सहित कई प्रकार की सब्जियां लगाकर कमाई का जरिया खोजा। इस समय प्रतिदिन करीब 3000 रुपए की सब्जी बेचकर कमाई कर रहे हैं। खास बात यह है कि इन सब्जियों में किसानों ने रसायनिक खाद्य व दवाइयों का प्रयोग नहीं किया है पूरी तरह से ऑर्गेनिक सब्जियां तैयार की है। अनउपजाऊ जमीन को उपजाऊ करने के कारण दोनों किसान भाईयों ने हरियाणा के साथ-साथ निकटवर्ती राजस्थान के आस-पास के गांवों में अलग पहचान बनाई है। इनका कहना है कि किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से खेती करके आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
गांव के ही किसान ओमप्रकाश से प्रेरणा लेकर शुरू की सब्जियां लगानी-- गांव जोड़कियां के किसान प्रेमसुख पुत्र महादेव सिंवर ने बताया कि रेतीली जमीन व नहरी पानी की कमी के कारण परंपरागत खेती में अच्छी बारिश होने पर ही बचत होती है वरना घाटा ही लगता है। उसने खेती के साथ-साथ अतिरिक्त कमाई करने का जरिया खोजना शुरू किया तो अपने भाई महावीर सिंवर से आधुनिक तरीके से खेती करने का विचार विमर्श शुरू किया। ऐसे में दोनों भाइयों ने गांव के किसान ओम प्रकाश जिसने कई वर्षों से ऑर्गेनिक तरबूज की खेती शुरू कर रखी है। उनसे प्रेरणा लेकर अपने खेत में 1 एकड़ रेतीली जमीन में सब्जियां लगाने का फैसला किया। जमीन में रेत ज्यादा होने के कारण पहले करीब 2 फीट रेत को हटाकर सब्जियों के लिए आवश्यक मिट्टी की खोज की। फिर उन्होंने फतेहाबाद से सब्जियों के बीज लाकर घर पर पौध तैयार की और 1 एकड़ जमीन में तोरी, टिंडे, त्तर, बंगा और तरबूज लगाए। उन्होंने बताया कि सरकार की सहायता से खेत में पानी की डिग्गी बना रखी है जिसमें पानी एकत्रित कर लिया जाता है और ड्रिप सिस्टम के द्वारा पौधों को पानी दिया जाता है। उन्होंने बताया कि इससे पानी की काफी बचत हो जाती है। और पौधों की जड़ों में सीधे पानी व अन्य पोषक तत्व दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में करीब 3000 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से सब्जियां बेच दी जाती है। जिससे उन्हें 1 एकड़ में प्रति महीने के हिसाब से 90 हजार रुपए तक की कमाई हो रही है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा आगे मौसमी सब्जियां लगाने के लिए और जमीन तैयार कर रहे है। आधुनिक तरीके और बिना रासायनिक खाद के प्रयोग किए उगाई गई सब्जियां स्वादिष्ट व स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होती है। जिससे आसपास के बराबरी, कुतियाना, जमाल, रुपावास इत्यादि गांवों के किसान उनके खेत से सब्जियां लेने के लिए आते हैं और ऑर्गेनिक सब्जियों की तारीफ करते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी लगाई सब्जियां देख कई किसान भी सब्जी लगाने के लिए जमीन को तैयार करने लगे हैं। किसान खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से व्यवसाय कर कमाई करके आत्मनिर्भर बन सकते हैं। समय पर मिले सरकारी सहायता तो बढ़ाया जा सकता है सब्जी का व्यवसाय-- प्रेमसुख और महावीर ने बताया कि सरकार द्वारा खेत में डिग्गी और सब्सिडी पर ड्रिप सिस्टम लगाया हुआ है। इसके अलावा अगर और सरकारी सहायता मिल जाए तो सब्जी के व्यवसाय को और ज्यादा बढ़ाया जा सकता है। जिससे अन्य लोगों को भी रोजगार दिया जा सकता है। इसके अलावा नाथूसरी चौपटा के आसपास फ्रूट प्रोसेसिंग सेंटर या सब्जी मंडी विकसित हो जाए तो किसानों को काफी फायदा होने लगेगा। यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी और ठेकेदारों के चंगुल से निकला जा सकेगा।
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