नरेश बैनीवाल, चौपटा। राजस्थान की सीमा से सटे पैंतालिसा क्षेत्र के किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से खेती करके कमाई कर रहे हैं। किसान बागवानी, पशुपालन, सब्जियां इत्यादि लगाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति (Economic situation) को मजबूत बना रहे हैं। यह क्षेत्र राज्य के अंतिम छोर पर पड़ने के कारण हमेशा ही नहरी पानी की कमी से जूझता रहता है, क्षेत्र के किसान आमदनी बढ़ाने (income increase)के लिए कृषि क्षेत्र में नए-नए तरीकों की खोज करने में लगे रहते हैं इसी कड़ी में गांव शाहपुरिया ( सिरसा) (Village shahpuria sirsa) के किसान धर्मपाल पुत्र नंदराम बिछला ने 2 साल पहले साढ़े छह एकड़ जमीन में अनार और अमरूद का बाग लगा कर परंपरागत खेती के साथ बागवानी खेती शुरू की है। धर्मपाल बिछला का कहना है कि जब तक अनार और अमरुद के पौधे फलदार नहीं होते तब तक उसने इन पौधों की कतारों में तरबूज, गाजर और प्याज लगा कर कमाई करने का जरिया खोजा है। इसी के तहत तरबूज से करीब सवा लाख रुपए और प्याज से 80 हजार रुपए और 60 हजार रुपए की गाजर बेचकर कमाई की है। किसान धर्मपाल का कहना है कि परंपरागत खेती के साथ-साथ बागवानी, फल, सब्जियां इत्यादि लगाकर किसान आत्मनिर्भर (Self Dependent Farmer) बन सकते हैं। जानिए सफलता की कहानी...
शाहपूरिया के प्रगतिशील किसान धर्मपाल बिछला ने बताया कि नहरी पानी की कमी, प्राकृतिक आपदाओं, बीमारियों इत्यादि से परंपरागत खेती में फसलों का उत्पादन (crop Production) कम होने लगा और बचत भी नहीं हो पा रही थी। ऐसे में उसने खेती में आमदनी बढ़ाने का जरिया खोजना शुरू किया तो गांव के ही प्रगतिशील किसान राजवीर सिंवर से प्रेरणा लेकर उन्होंने साढे छह एकड़ जमीन में अनार और अमरूद का बाग लगाया। जिसमें साढ़े तीन एकड़ में अनार और 3 एकड़ जमीन में अमरूद का बाग लगाया । इसमें अभी तक कम ही फल लगने शुरू हुए हैं तो उन्होंने अनार और अमरूद के बाग वाली पौधों की कतारों के बीच 1 एकड़ में तरबूज लगाया जिससे उसे 125 क्विंटल तरबूज की पैदावार हुई। इससे करीब सवा लाख रुपए की कमाई हुई, इसी के साथ आधा एकड़ जमीन में प्याज लगा कर 80 हजार रुपए के प्याज बेच दिए और 1 एकड़ में गाजर लगाई जिससे उसे 60 हजार रुपए की कमाई हुई और अब 1 एकड़ में प्याज के पौधे लगा रखे हैं जो कि अगले महीने उनकी खुदाई की जाएगी। इसके साथ ही उन कतारों में करीब 4 एकड़ में सरसों की फसल की पैदावार ली जिससे करीब 6 से 7 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से सरसों की पैदावार हुई है।
सरकार की सहायता (Govt. Support) से खेत में बनाईं पानी की डिग्गी, ड्रीप सिस्टम (drip system) से करता है सिंचाई
धर्मपाल बिछला ने बताया कि उन्होंने सरकार की सहायता से खेत में पानी की डिग्गी बना ली है जिसमें पानी एकत्रित कर लिया जाता है। और जब जरूरत होती है तो उस पानी से ड्रिप सिस्टम (drip system) द्वारा सिंचाई कर पौधों को खाद और पानी सीधा जड़ो में दिया जाता है जिससे एक तो पानी की बचत होती है और पौधों को जरूरत के हिसाब से पानी व खाद इत्यादि मिल जाती है । यह सब सरकार के सहयोग से मिला है।
चोपटा में मंडी व वैक्सिंग प्लांट लगाया जाए
धर्मपाल ने बताया कि उसके गांव से सिरसा मण्डी 37 किलोमीटर दूर पड़ती है। जिससे फलों को वहां ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है। इसके अलावा नजदीक में कोई वैकिसंग प्लांट भी नहीं है जिसमें की फलों को संभाल कर रखा जाए। उसका कहना है कि अगर फलों व सब्ज़िय की मण्डी ( Fruit and vegetables Market) नाथूसरी चोपटा में विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी। तथा एक वैक्सिंग प्लांट लगाया जाए।
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