2 किसान भाइयों सुशील चाहर और सज्जन चाहर ने 12 साल पहले 18 एकड़ में लगाया मौसमी, माल्टा और किन्नू का बाग, अब हो रही 32 लाख रुपए सालाना कमाई

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2 किसान भाइयों सुशील चाहर और सज्जन चाहर ने 12 साल पहले 18 एकड़ में लगाया मौसमी, माल्टा और किन्नू का बाग, अब हो रही 32 लाख रुपए सालाना कमाई



Reporter नरेश बैनीवाल 9896737050

चोपटा (सिरसा) हरियाणा के सिरसा जिले के चौपटा क्षेत्र में अधिकतर जमीन रेतीली है और राज्य के अंतिम छोर पर पड़ने के कारण हमेशा ही सिंचाई के पानी की कमी रहती है। बरानी जमीन में खेती पूरी तरह बारिश पर निर्भर है ऐसे में परंपरागत खेती से आमदनी नाम मात्र होती है। और किसानों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो जाती है लेकिन गांव साहूवाला द्वितीय के 2 किसान भाइयों सुशील चाहर और सज्जन चाहर ने हौसला हारने की बजाय बरानी जमीन में बाग लगाकर कमाई का जरिया खोजा। उन्होंने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए साल 2010 में 18 एकड़ बरानी जमीन में मौसमी माल्टा और किन्नू का बाग लगाया। इससे परंपरागत कृषि के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी शुरू हो गई । अब दोनों  भाइयों को करीब 32 लाख  रुपए सालाना कमाई हो रही है । इन्होंने पिछले वर्ष भी 9 एकड़ जमीन में अमरूद और माल्टा का बाग लगा कर अपनी कमाई का दायरा बढ़ा लिया है । लीक से हटकर कुछ करने के जज्बे ने सुशील चाहर और सज्जन चाहर दोनों भाइयों को आस-पास के गांवों में अलग पहचान दिलवाई है तथा इनके बाग को देखकर अन्य किसानों ने भी बाग लगाने शुरू किए हैं। दोनों भाई क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं।


गांव साहूवाला द्वितीय के किसान सुशील चाहर और सज्जन चाहर ने बताया कि उनके गांव की अधिकतर जमीन पानी की कमी के कारण बरानी रह जाती है। उन्होंने बीए और एमए की पढ़ाई करने के बाद खेती की तरफ ध्यान दिया तो बरानी जमीन में सिंचाई के अभाव में फसल उत्पादन काफी कम होता था।  उन्होंने इस जमीन में कम पानी से पैदावार लेने का फैसला किया और कृषि विभाग व अन्य संसाधनों से जानकारी लेकर 18 एकड़ में 12 साल पहले साल 2010 में बाग लगाया। जिसमें 2 एकड़ में मौसमी और माल्टा का मिक्स बाग और 16 एकड़ में किन्नू का बाग लगाया। जिससे उन्हें तीन चार साल बाद कमाई होनी शुरू हो गई।  उन्होंने पहली बार 12 लाख रुपए रुपए सालाना ठेके पर दिया । फिर 17 लाख रुपए और इस बार 32 लाख रुपए ठेके पर बाग को दे दिया।  उन्होंने पिछले वर्ष 9 एकड़ में बाग और लगाया जिसमें 2 एकड़ में अमरूद और 7 एकड़ में माल्टा के पौधे लगाए।  


 सुशील चाहर और सज्जन चाहर ने बताया कि सरकार के सहयोग से उन्होंने खेत में एक पानी की डिग्गी बना ली है उस डिग्गी में पानी ईकट्ठा करके रखते हैं जब भी सिंचाई की जरूरत होती है तभी पौधों व फसलों में सिंचाई कर लेते हैं सिंचाई ड्रिप सिस्टम द्वारा की जाती है। जिससे पानी, खाद व दवाई सीधे पौधों को मिल जाती है और पानी बेकार नहीं जाता ।। इसके साथ ही घरेलू उपयोग के लिए मौसमी सब्जियां भी वह अपने खेत में ही लगाते हैं कभी भी बाजार से नहीं लाते।


सुशील चाहर और सज्जन चाहर ने बताया कि जिले में फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट और बड़ी मंडी न होने के कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है । फलों को दूर मंडियों में ले जाकर बेचने से यातायात खर्च भी ज्यादा होता है और बचत कम हो जाती है । उनका कहना है कि क्षेत्र में फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट और मंडी विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी।

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