किसान सतपाल गाट 6 एकड़ बरानी जमीन में थाई एप्पल का बाग लगा कर रहा लाखों रुपए की कमाई, लुदेसर के प्रवक्ता किसान सतपाल गाट और एमए, बीएड पढ़ी-लिखी पत्नी सुलोचना गाट ने बंजर जमीन को मेहनत के बल पर बनाया उपजाऊ

Advertisement

6/recent/ticker-posts

किसान सतपाल गाट 6 एकड़ बरानी जमीन में थाई एप्पल का बाग लगा कर रहा लाखों रुपए की कमाई, लुदेसर के प्रवक्ता किसान सतपाल गाट और एमए, बीएड पढ़ी-लिखी पत्नी सुलोचना गाट ने बंजर जमीन को मेहनत के बल पर बनाया उपजाऊ

  


Chopta Plus Reporter -: नरेश बैनीवाल 9896737050, नाथूसरी चोपटा(सिरसा) (Nathusar Chopta sirsa) किसान (Farmer ) का काम हमेशा ही खेती से जुड़ा होता है। किसान  नौकरी मिलने पर कितने भी बड़े पद पर पहुंच जाएं लेकिन हमेशा से ही खेती से संबंधित कार्य मैं उसकी रुचि कम नहीं होती । खेती का पूरा ज्ञान होता है और किसान खेती बाड़ी  को बढ़ावा देने के बारे में सोचता है । फसलों की देखभाल बागवानी, सब्जियों उगाना इत्यादि में तत्परता से कार्य करने लगता है । इसी के तहत गांव लुदेसर (सिरसा) (Village Ludesar Sirsa Haryana) निवासी इतिहास प्रवक्ता (History lecturer) सतपाल गाट ने 4 साल पहले बरानी व बंजर 6 एकड़ में थाई एप्पल बेर की खेती शुरू की। इस कार्य में सतपाल की एमए, बीएड पढ़ी-लिखी पत्नी सुलोचना गाट ने भरपूर सहयोग दिया । जिससे परंपरागत खेती के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी में शुरू हो गई। वर्तमान में थाई एप्पल बेर से 6 लाख रुपए सालाना बचत होती है। अध्यापन (Teaching ) के साथ-साथ आधुनिक खेती कार्य को बढ़ावा देने दंपति सतपाल गाट और सुलोचना गाट  को गांव तथा आसपास के क्षेत्र में मान व सम्मान मिल रहा है। प्रवक्ता सतपाल गाट का कहना है कि बिरानी या बंजर जमीन में आधुनिक तरीके से विभिन्न किस्म के बाग या सब्जियां इत्यादि उगाकर कमाई करके आत्मनिर्भर बना जा सकता है। थाई एप्पल बेर की मिठास ज्यादा व स्वाद सेब जैसा होता है।


गांव लुदेसर प्रवक्ता किसान सतपाल गाट(Satpal Gaat ) ने बताया कि नौकरी करने के साथ-साथ खेती की भी संभाल जरूरी होती है। इसी के तहत 6 एकड़ बिरानी जमीन में बारिश होने पर ही थोड़ी बहुत पैदावार होती थी वरना तो जमीन खाली रह जाती तभी उन्होंने इस बिरनी जमीन में पैदावार लेने का जरिया खोजना शुरू किया। बागवानी विभाग से जानकारी लेकर 4 साल पहले में 6 एकड़ भूमि में थाई एप्पल बेर का बाग लगाया। उन्होंने बताया कि सीकर राजस्थान (Sikar Rajasthan) से थाई एप्पल बेर के पौधे लाकर अपने खेत में लगाए। उन्होंने बताया कि बागवानी के इस कार्य में उनकी पत्नी सुलोचना गाट (Sulochana Gaat) ने भरपूर सहयोग दिया । पहले साल तो दूर दूर से पानी लाकर पौधों को सिंचित करना पड़ा। फिर उन्होंने दूसरे खेत में टयूबवेल लगाकर अपने खर्चे से पाइप लाइन डालकर सिंचाई के पानी का प्रबंध किया। उन्होंने बताया कि इस बाग में खर्चा कम होता है और मेहनत भी कम करनी पड़ती है ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है और पैदावार अच्छी हो जाती है। बाग से 6 लाख रुपए के बेर बेचकर कमाई होती है।



 उन्होंने बताया कि थाई एप्पल बेर में  मिठास ज्यादा होती है खाने में सेब जैसा स्वाद होता है। तथा स्वास्थ्य के लिए भी लाभप्रद है। उन्होंने बताया कि थाई एप्पल बेर साल में दो बार लगते हैं लेकिन गर्मियों के मौसम में इसके फल खराब होने का अंदेशा ज्यादा हो जाता है सर्दियों के मौसम में फलों की बढ़वार भी ज्यादा होती है और बिक्री भी ज्यादा होती है। थाई एप्पल बेर की उपज प्रति एकड़ के हिसाब से 100 क्विंटल के आसपास हो जाती है। आमतौर पर भाव 20 से 25 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से मिलते है ।  आसपास के गांवों के लोग थाई एप्पल बेर (Thai apple ber) के बाग को देखकर उनसे जानकारी लेकर अब बाग लगाने लगे हैं। सतपाल गाट का कहना है कि किसान परंपरागत खेती के साथ जमीन की उपजाऊ शक्ति के अनुसार किन्नू, अमरूद, थाई एप्पल बेर, अंगूर इत्यादि का बाग लगा कर कमाई करके पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

मंडी दूर होने के कारण यातायात (Taransport) खर्च हो जाता है ज्यादा
किसान प्रवक्ता सतपाल गाट ने बताया कि उनके गांव के आसपास फलों की मंडी या  फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट ना होने के कारण उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती है फलों को बेचने के लिए हिसार, जींद, करनाल या पंजाब में लेकर जाना पड़ता है जिससे यातायात खर्चा ज्यादा हो जाता है इनकी मांग है कि  नाथूसरी चोपटा में फलों की मंडी या फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी। इसके साथ ही सरकार को फलों की खेती करने के लिए अनुदान या लोन का सरलीकरण किया जाना चाहिए।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ