नरेश बैनीवाल 9896737050 चोपटा (सिरसा) राजस्थान की सीमा से सटे चौपटा क्षेत्र के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती और पशुपालन ही है। खेती और किसानी से जुड़े लोग नौकरी करने के साथ-साथ कृषि और पशुपालन व्यवसाय को भी बढ़ावा देने में लगे हुए हैं। कई किसान नौकरी के साथ-साथ खेती और दूध का व्यवसाय करके लाखों रुपए की अतिरिक्त कमाई कर अपने घरों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखे हुए हैं। इसी कड़ी में गांव जमाल के प्रगतिशील किसान अध्यापक रोहताश सहारण और उसकी पत्नी अध्यापिका सरस्वती सहारण दोनों गायों को पालकर उनके दूध और घी बेचने का व्यवसाय कर सालाना करीब 500000 रुपए की अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। वर्तमान में 100 गोवंश है जिसमें से 30 गाय दूध देती है। इस कार्य में रोहतास के भाई प्रिंसिपल भरत सिंह सहारण और उसकी पत्नी निर्मला सहारण भी गायों की सेवा और देखभाल करने में सहायता करते हैं। सहारण परिवार के सभी सदस्य गायों की सेवा करने के साथ-साथ दूध और घी से कमाई करने के लिए अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। सबसे
अहम बात यह की गायों के लिए हरा चारा ऑर्गेनिक ही उगाया जाता है जिसमें रासायनिक खादों का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं करते और घर में जरूरत के लिए मौसमी सब्जियां ऑर्गेनिक तरीके से उगाकर प्रयोग की जाती हैं। बाजार से नहीं लाते। इनका कहना है कि इससे एक और तो स्वास्थ्य अच्छा रहता है, गायों की सेवा की जा सकती है और आर्थिक लाभ मिलने से आत्मनिर्भर बना जा सकता है।
गांव जमाल के किसान अध्यापक रोहतास सहारण और अध्यापिका सरस्वती सहारण ने बताया कि देसी खानपान को अपनाने के लिए साल 2014 में उन्होंने गायों को पालना शुरू किया। इस कार्य में उनके भाई भरत सिंह सहारण और उनकी पत्नी निर्मला सहारण के सहयोग से सबसे पहले 10 गाय साहिवाल और राठी नस्ल खिलाकर दूध और घी का प्रयोग करना शुरू किया। दूध और घी ज्यादा होने पर उन्होंने डेयरी में बेचना शुरू किया तथा धीरे-धीरे गायों की संख्या बढ़ा ली करीब 7 साल बाद अब उनके पास 100 साहिवाल और राठी नस्ल की गाय हैं । जिनके दूध और घी बेचने से उन्हें करीब 500000 रुपए से अधिक की आय सालाना हो जाती है। हर समय 20 से 30 गायें दूध देती रहती हैं।
उन्होंने बताया कि इस कार्य को शुरू करने का उनका मकसद लोगों का स्वास्थ्य बेहतर रखना और गौ सेवा ही था लेकिन धीरे-धीरे आर्थिक लाभ मिलने से घर के सभी सदस्यों की इस व्यवसाय में रुचि बढ़ गई। उन्होंने बताया कि परिवार के सभी सदस्य शिक्षण कार्य में जुटे हुए हैं और सुबह शाम गायों की सेवा और खेती की देखभाल में लगे रहते हैं।
सरस्वती सहारण ने बताया कि स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए गायों के लिए हरे चारे को ऑर्गेनिक खाद से ही उगाना शुरू किया है। जिसमें कभी भी रसायनिक खादों का प्रयोग नहीं करते। इससे दूध भी बढ़िया होता है और गायों को कोई बीमारी नहीं होती । इसके साथ ही मौसमी सब्जियां लहसुन, प्याज, गोभी, आलू, मटर इत्यादि ऑर्गेनिक रूप से तैयार करते हैं तथा कभी भी बाजार से खरीद कर नहीं लाते। जब से गायों को पालना शुरू किया है और ऑर्गेनिक सब्जियां उगानी शुरू की है उसके बाद उनके घर के सदस्यों से बीमारियां दूर रहती है। अपने खेतों में गेहूं, सरसों , कपास, नरमा की फसलों में भी गोबर की खाद का ही प्रयोग करते हैं और जिससे उत्पादन बेहतर हो रहा है। उन्होंने बताया कि गाय के घी दूध के साथ-साथ गोबर की खाद भी बेची जाती है जिससे उन्हें आर्थिक लाभ होता है तथा किसान गोबर की खाद लेकर अपने खेतों में डालते हैं जिससे फसलों के उत्पादन भी काफी बढ़ जाता है।
अध्यापिका सरस्वती सहारण ने बताया कि खेती के साथ-साथ पशुपालन व्यवसाय से लाभ कमाया जा सकता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं अच्छी नहीं है। गांव में पशुओं के लिए अस्पताल तो बना रखे हैं लेकिन उनमें दवाइयों का हमेशा ही अभाव रहता है । जब भी उनकी गायें बीमार होती हैं तो गांव में तैनात पशु चिकित्सक दवाइयों के अभाव में हाथ खड़े कर देते हैं । तो उन्हें निजी चिकित्सकों को बुलाकर गायों का इलाज करवाना पड़ता है। इनका कहना है कि सरकार को पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए अनुदान जैसी स्कीमों के साथ-साथ पशु चिकित्सा व्यवस्था पर भी गौर करनी चाहिए।
सरस्वती सहारण ने बताया कि वह गांव जमाल के ही राजकीय कन्या पाठशाला में जेबीटी अध्यापिका है, तथा उनके पति रोहतास सहारण भी नजदीक के गांव जोडकिया में जेबीटी अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। इसके साथ ही रोहतास के बड़े भाई भरत सिंह सहारण ने सीआरएस सीनियर सेकेंडरी स्कूल खोल रखा है। जिसमें प्रिंसिपल के तौर पर कार्यरत हैं। उनकी पत्नी निर्मला सहारण भी इसी स्कूल में कार्यरत है। घर के सभी बच्चे पढ़ाई के साथ साथ गायों की सेवा और पशुपालन व्यवसाय में जुटे रहते हैं। जिससे उनका स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है और खेती और पशुपालन व्यवसाय को बढ़ाने में भरपूर सहयोग कर रहे हैं।
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