Sirsa वर्ष 1985 से 88 तक जिले के उपायुक्त रहे माणिक बी सोनवणे के जाली हस्ताक्षर कर 100 कनाल भूमि (100 canal land ) का नीलामी सर्टिफिकेट (certificate )जारी करवाने का मामला सामने आया है। जाली हस्ताक्षर कर जमीन हथियाने मामले में रानियां के तहसीलदार की शिकायत पर रानियां थाना पुलिस (Rania thana police) ने भंभूर गांव निवासी जसवंत सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।
पुलिस को दी शिकायत में रानियां के (Tahsildar) तहसीलदार हरीश कुमार ने बताया कि गांव रानियां की 100 कनाल भूमि का नीलामी प्रमाण पत्र जारी करने के लिए भंभूर निवासी जसवंत सिंह ने तत्कालीन उपायुक्त (DC) के फर्जी हस्ताक्षर किए गए थे और रिकॉर्ड रूम में दस्तावेजों को चस्पा दिया। इस मामले में जिला राजस्व अधिकारी द्वारा जांच करवाई गई है। शिकायत में बताया गया कि आईएएस माणिक बी सोनवणे 31 मार्च 1985 से 25 मार्च 1988 तक सिरसा के उपायुक्त रहे थे। उनके बाद 28 अप्रैल 1997 से 12 अक्तूबर 1999 तक आईएएस डॉ. अवतार सिंह उपायुक्त रहे। बीआरके शाखा के लिपिक सरदारी लाल ने अपने बयानों में बताया कि वह दो महीने से उस शाखा में कार्यरत है। इस मामले में 13 जून 1985 को जगतार सिंह बनाम ओम कुमारी के केस के मूल रिकॉर्ड लेकर हाजिर हुआ। जिसमें मूल रिकॉर्ड पर न्यायालय माणिक बी सोणवने के 31 मार्च 1998 को हस्ताक्षर है और डिग्री ऑर्डर 24 जून 1997 भी संलग्न है परंतु उसके बारे में इंडेक्स में सूचना नहीं है। जांच के दौरान जब मूल रिकॉर्ड को देखा गया तो उसमें पृष्ठ नंबर 9-11-2011 पर उपायुक्त माणिक बी सोनवणे के आदेश दर्ज है और उनके हस्ताक्षर है। जिसका मिलान क्लेक्टर न्यायालय द्वारा 1998 में दिए गए आदेशों से किया गया तो पाया कि दोनों हस्ताक्षरों में पूर्णतया भिन्नता है। जिसमें स्पष्ट है कि अतिरिक्त पृष्ठ जोड़कर माणिक बी सोनवणे के हस्ताक्षर किए गए हैं। इसकी पुष्टि कार्यप्रभारी स्थापना शाखा द्वारा प्रस्तुत पत्र से भी होती है जिसमें लिखा है कि 31 मई 1998 को सोनवणे सिरसा के उपायुक्त थे ही नहीं। बता दें कि जिस समय जमीन के लिए हस्ताक्षर करवाए गए थे उसे समय माणिक बी सोणवने की बदली हुए काफी समय हो चुका था।वहीं शिकायतकर्ता ने कहा कि यह एक आपराधिक साजिश है। जिसका लाभ प्राप्तकर्ता दलविंद्र सिंह व उसके वारिस जसवंत सिंह पुत्र बलविंद्र सिंह निवासी भंभूर है। संभवत: जसवंत सिंह ने उपरोक्त वर्णित जमीन हथियाने के लिए षड्यंत्र के तहत जाली कागजात आदेश 31 मई 1998 तैयार करवाए तथा मिली भगत करके रिकॉर्ड रूम की मूल मिसल में चस्पा किया। जिसके आधार पर ही न्यायालय जरनैल सिंह, चेयरमैन पीएलए/पीयूएस, सिरसा के न्यायालय में केस में 08 जनवरी 2020 में अनुचित लाभ प्राप्त किया।
0 टिप्पणियाँ