जानिए किस प्रकार किसान Farmer सुरेंद्र गाट ने सेम से बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ, जहां बीज भी नहीं उगता था वहां लहलहाने लगी फसलें crop , why is agriculture development,

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जानिए किस प्रकार किसान Farmer सुरेंद्र गाट ने सेम से बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ, जहां बीज भी नहीं उगता था वहां लहलहाने लगी फसलें crop , why is agriculture development,

नरेश बैनीवाल (9896737050) चौपटा (सिरसा

 

success story farmer surender kumar agriculture development 
हरियाणा के सिरसा (Sirsa ) जिले के नाथूसरी चौपटा Nathusari chopta क्षेत्र के करीब 25 गांवों में 20000 एकड़ जमीन (land) सेम के कारण बंजर banjar हो चुकी है। किसानों की आमदनी बिल्कुल ही कम हो गई है।  ऐसे में village Ludesar गांव लुदेसर (सिरसा) के किसान Farmer सुरेंद्र कुमार गाट ने हिम्मत हारने की बजाय सेम से बंजर हुई जमीन में फसल उगाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखा।  सेम के कारण जमीन में पानी खड़ा रहने से फसल उगनी बंद हो गई लेकिन सुरेंद्र कुमार ने 28 एकड़ जमीन में  3 किलोमीटर दूर से मिट्टी लाकर सेम ग्रस्त जमीन में डालकर फसल crop उगाने का जरिया खोजा। जोकि पूरी तरह कामयाब रहा और बंजर जमीन में फसलें लहलहाने लगी। 


सुरेंद्र कुमार का कहना है कि सेम ग्रस्त जमीन में पैदावार लेने की तकनीक को देख कर गांव के अन्य कई किसान भी अपनी जमीनों में मिट्टी डलवा कर फसल उगाने लगे। 

 28 एकड़ जमीन में फसलें लहलहाने  लगी,  हो रही बंपर पैदावार

गांव लुदेसर के किसान सुरेंद्र कुमार गाट ने बताया कि साल 1995 में क्षेत्र के लगभग सभी गांवों में सेम ग्रस्त जमीन का दायरा बढ़ने लगा। इसी दौरान उनके 28 एकड़ खेत में सेम के कारण जमीन में पानी खड़ा रहने लगा और लवणता बढ़ गई। जिसके कारण जमीन बंजर होने लगी। कई वर्षों तक तो उन्होंने धान  इत्यादि की खेती agriculture की लेकिन जमीन में लवणता (salinity) की मात्रा बढ़ने से बीज (seed) उगने भी बंद हो गए। इस दौरान उन्होंने साल 1999 से लेकर साल 2015 तक खेती से वंचित रहना पड़ा। तब उन्होंने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए सेम ग्रस्त जमीन से पैदावार लेने के  तरीके खोजने शुरू किए ।  

तभी राजस्थान के रावतसर क्षेत्र से सेम ग्रस्त जमीनों में फसल उगाने के बारे में पता चला। तो वहां पर जाकर देखा कि किसान दूर-दूर से बालू मिट्टी लाकर सेम ग्रस्त जमीन में डाल रहे हैं और जिससे जमीन में खड़ा पानी सूखाकर जमीन को उपजाऊ बना रहे हैं। तभी उन्होंने अपने भाई राजेंद्र कुमार से सलाह मशवरा करके साल 2015 में प्रयोग के तौर पर 5 एकड़ जमीन में 3 किलोमीटर दूर से मिट्टी लाकर डाली तथा उसमें फसल उगाकर देखी तो बीज भी उगने लगे और फसल भी ठीक-ठाक हुई । 

2 साल तक हर मौसम की फसलें उग लेने के बाद उन्होंने पूरे खेत 28 एकड़ में मिट्टी डालने का संकल्प लिया और ट्रैक्टरों (traktors)से निकटवर्ती गांव रुपावास village rupawas से  मिट्टी लाकर डाली और उसमें गेहूं की फसल उगा कर अच्छी पैदावार होने लगी। उसके बाद  3 वर्ष से पूरे खेत में दोनों मौसम की फसलें गेहूं , सरसों, कपास, नरमा, बाजरा इत्यादि की पैदावार लेकर अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना लिया है। सुरेंद्र कुमार ने बताया कि उनके तजुर्बे को देखकर गांव के अन्य किसानों ने भी अपने खेतों में मिट्टी भर्ती करवा कर फसल उगानी शुरू कर दी है जिससे सेम ग्रस्त जमीन में फसले लहलहाने लगी है।









सुरेंद्र कुमार का कहना है कि सरकार govt. द्वारा क्षेत्र से सेम की समस्या को खत्म करने के लिए वादे तो किए जाते हैं लेकिन करीब 30 वर्ष से सेम की समस्या गंभीर बनी हुई है तब किसानों ने अपने बलबूते पर सेम से बंजर जमीन को उपजाऊ fertile  करने का जो बीड़ा उठाया है उसके तहत सरकार को सहायता करनी चाहिए।  

इनका कहना है कि सरकार द्वारा सौर ऊर्जा के ट्यूबवेल लगवा कर सेम के पानी water  को सेम नाले में डालने के लिए प्रोजेक्ट को तत्परता से लागू करना चाहिए। ताकि बंजर जमीन से पैदा लेकर किसानों की आर्थिक स्थिति economic  मजबूत हो सके।

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