बरासरी के किसान सुभाष चन्द्र बैनीवाल ने 10 साल पहले 10 एकड़ बिरानी जमीन में लगाया किन्नू का बाग अब हो रही है, 10 लाख रुपए सालाना कमाई, जानिए किसान की सफलता की कहानी...

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बरासरी के किसान सुभाष चन्द्र बैनीवाल ने 10 साल पहले 10 एकड़ बिरानी जमीन में लगाया किन्नू का बाग अब हो रही है, 10 लाख रुपए सालाना कमाई, जानिए किसान की सफलता की कहानी...

चोपटा प्लस न्यूज।।  नहरी पानी की कमी, सेम के कारण जमीन का खारा पानी, बारिश समय पर ना होना, फसलों में विभिन्न प्रकार की बीमारियों व अन्य प्राकृतिक आपदाओं के आने से किसानों को परंपरागत खेती से घाटा होने लगा है इस घाटे को पूरा करने के लिए किसान खेती के साथ-साथ नई तरकीब सोच कर आमदनी बढ़ाने की कोशिश करता है। पढ़ाई करने के बाद युवा किसान नौकरी के लिए दर-दर भटकने की बजाए परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तकनीक की खेती से भी कमाई कर रहे हैं। इसी कड़ी में गांव बरासरी (सिरसा) हरियाणा के 12 वीं पास किसान सुभाष चन्द्र बैनीवाल ने 10 साल पहले 10 एकड़  बिरानी जमीन में किन्नू का बाग लगा कर परंपरागत खेती के साथ अतिरिक्त आमदनी का जरिया शुरू किया।  जिससे करीब 10 लाख रुपए प्रतिवर्ष अतिरिक्त कमाई होने लगी।  


गांव बरासरी के 12 वीं तक पढ़े किसान युवा किसान सुभाष चन्द्र बैनीवाल ने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए खेती के साथ-साथ कोई अन्य कमाई का जरिया खोजना शुरू किया। सुभाष ने बताया कि पढ़ाई के बाद नौकरी के लिए दर-दर भटकने की बजाए परंपरागत खेती के साथ अतिरिक्त आमदनी खोजने का जरिया शुरू करने के लिए उन्होंने कई प्रकार की जानकारियां हासिल की फि गांव में बागवानी विभाग द्वारा लगाए गए कैंप से जानकारी लेकर उसने पंजाब से नर्सरी से किन्नू के पौधे लाकर 10  साल पहले  10 एकड़ में  किन्नू का बाग लगाया।   उन्होंने बताया कि सरकार के सहयोग से उन्होंने खेत में पानी की डिग्गी भी बना ली है उस डिग्गी में पानी ईकट्ठा करके रखते हैं जब भी सिंचाई की जरूरत होती है तभी किन्नू के पौधों में फसलों में सिंचाई कर लेते हैं वहीं सिंचाई ड्रिप सिस्टम द्वारा की जाती है जिसमें पानी में खाद दवाई सीधे पौधों को मिल जाती है पानी बेकार नहीं जाता। उन्होंने बताया कि उनके बाग को देखकर गांव व आसपास के कई किसानों ने भी किन्नू अमरूद इत्यादि के बाद लगाकर कमाई शुरू कर दी है। उसने बताया कि इस बाग में खर्चा कम होता है और मेहनत भी कम करनी पड़ती है ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है और पैदावार अच्छी हो जाती है।  खेती के साथ-साथ किन्नू के बाग से कमाई होने से उनके घर की आर्थिक हालत अच्छी हो गई।  

सुभाष चंद्र का कहना है कि किसान परंपरागत खेती के साथ जमीन की उपजाऊ शक्ति के अनुसार किन्नू, अमरूद, थाई एप्पल बेर, अंगूर इत्यादि का बाग लगा कर कमाई करके पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

मंडी दूर होने के कारण यातायात खर्च हो जाता है ज्यादा
किसान  सुभाष चन्द्र बैनीवाल ने बताया कि उनके गांव के आसपास फलों की मंडी या  फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट ना होने के कारण उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती है।


  फलों को बेचने के लिए दूर-दूर लेकर जाना पड़ता है जिससे यातायात खर्चा ज्यादा हो जाता है इनकी मांग है कि नाथूसरी चोपटा में फलों की मंडी या फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी। इसके साथ ही सरकार को फलों की खेती करने के लिए अनुदान या लोन का सरलीकरण किया जाना चाहिए।

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