बरासरी के किसान राजेश कुमार ने आलू लगाकर शुरू की परम्परागत खेती के साथ अतिरिक्त कमाई, जानिए किसान की सालाना कमाई...

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बरासरी के किसान राजेश कुमार ने आलू लगाकर शुरू की परम्परागत खेती के साथ अतिरिक्त कमाई, जानिए किसान की सालाना कमाई...

 

        पत्रकार नरेश बैनीवाल 9896737050

नाथूसरी चोपटा। राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के पैंतालिसा क्षेत्र में रेतीली जमीन है तथा अन्तिम छोर पर पडऩे के कारण हमेशा सिंचाई के पानी की कमी रहती है। जब भी राजस्थान में सूखा या अकाल पड़ता है तो उसकी काली छाया इस क्षेत्र पर अवश्य पड़ती है। इसके अलावा कभी टिड्डी दल का हमला, कभी सूखा रोग, कभी औलावृष्टि आदि की मार से परंपरागत खेती से आमदनी कम हो जाती है। और आर्थिक स्थिति डावांडोल हो जाती है। लेकिन गांव बरासरी (सिरसा)  के किसान राजेश कुमार पुत्र पूनम चंद रोज ने हौसला हारने की बजाए कमाई का जरिया खोजा। उसने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए बीए की पढ़ाई करने के साथ-साथ परंपरागत खेती के साथ 1 एकड़ में 5 साल पहले आलू की बिजाई की। इससे परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदन शुरू हो गई। अब हर साल अढाई लाख रुपए के अतिरिक्त कमाई होने लगी।  लीक से हटकर कुछ करने के जज्बे ने राजेश कुमार को हरियाणा के साथ-साथ निकटवर्ती राजस्थान के आस पास के गांवों में अलग पहचान भी दिलवाई। और कम उम्र में ही किसानों  के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया।   
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माधोसिंघाना के प्रगतिशील किसान से प्रेरणा लेकर शुरू की आलू की बिजाई
 किसान राजेश कुमार ने बताया कि रेतीली जमीन व नहरी पानी की हमेशा कमी के कारण परंपरागत खेती में अच्छी बारिश होने पर तो बचत हो जाती वरना घाटा ही लगता। उसने खेती के साथ अन्य कमाई का जरीया खोजना शुरू किया तो  बीए की पढ़ाई करने के साथ-साथ खेती कार्य में रुचि के कारण गांव माधोसिंघाना के प्रगतिशील किसान  रामस्वरूप से प्रेरणा लेकर 1 एकड़ फसल में 5 साल पहले आलू की सब्जी लगानी शुरू की। जिससे
 200 क्विंटल आलू की पैदावार हुई और करीब 200000 रुपए की कमाई हुई । उन्होंने बताया कि आलू की फसल अक्टूबर के पहले सप्ताह में लगाई जाती है और दिसंबर में पैदावार मिल जाती है । पिछले 5 वर्ष से हर साल करीब अढाई से 300000 रुपए की पैदावार हो जाती है जिससे परंपरागत खेती की आमदनी के साथ-साथ अतिरिक्त कमाई होने से घर की आर्थिक स्थिति मजबूत रहने लगी।
उन्होने बताया कि बिना किसी सरकारी सहायता के अपना खुद के पैसों से आलू का व्यवसाय शुरू किया है। उन्होंने बताया कि गांव के कई युवा उनके व्यवसाय को देखकर सब्जी लगाने का काम करने लगे हैं। जिससे उन्हें रोजगार मिल गया है। किसान खेती के साथ इस तरह के व्यवसाय से कमाई करके आत्म निभर बन सकते है।  

सरलता से मिले सरकारी सहायता, विकसित हो फ्रूट प्रोसेसिंग सेंटर या सब्जी मंडी
राजेश कुमार ने बताया कि अगर सरकारी सहायता मिल जाए तो सब्जी के व्यवसाय को और ज्यादा बढ़ा सकता है। जिससे अन्य लोगों को भी रोजगार दिया जा सकता है। इसके अलावा नाथूसरी चौपटा के आसपास फ्रूट प्रोसेसिंग सेंटर या सब्जी मंडी विकसित हो जाए तो किसानों को काफी फायदा होने लगेगा।  

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