चोपटा खंड के गांव कुम्हारिया, कागदाना, खेड़ी, जसानियां, राजपुरा साहनी, चाहरवाला, रामपुरा ढिल्लों, गिगोरानी, रामपुरा नवाबाद, जोगीवाला, गुसाईंयाना, जोड़कियां इत्यादि गांवों में सरसों, गेहूं, चने की फसल की बिजाई की जाती है। इस समय फसलों को सिंचाई की जरूरत है लेकिन सूखे पाले से सरसों, गेहूं व बिरानी चने की फसल खराब होने का अंदेशा बढ गया है। किसान जगदीश चंद्र, सुभाष चंद्र, राकेश कुमार, महावीर, रामकुमार, महेंद्र सिंह, सुल्तान सिंह इत्यादि का कहना है कि नहरों के अंतिम छोर पर पड़ने के कारण यहां सिंचाई के पानी का हमेशा अभाव रहता है । सरसों की फसल को सूखे पाले से बचाने के लिए अब तो सिंचाई का ही सहारा होता है परंतु नहरी पानी की कमी के चलते फसल को पाले से बचाना काफी मुश्किल हो गया है। बारिश की भी कोई संभावना नहीं लग रही है। इनका कहना है कि महंगे दामों से डीजल इत्यादि खर्च करके फसल की बुवाई तो कर दी लेकिन अब सिंचाई के अभाव में सरसों की फसल को पाले की मार से बचाना काफी मुश्किल हो गया है। इनका कहना है कि खेती लगातार घाटे का सौदा बनती जा रही है और किसानों पर सरकार और प्रकृति की दोहरी मार पड़ रही है जिससे जीवन बसर करना काफी मुश्किल हो गया है।
किसानों का कहना है कि इस समय या तो थोड़ी बारिश हो जाए या नहरी पानी पर्याप्त मात्रा में मिले तो सरसों की फसल को पाले से बचाया जा सकता है। फिर भी किसान सिंचाई करके फसलों को पाले से बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।
फोटो। गेहूं के फसल में सिंचाई करता हुआ किसान
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