गांव बरासरी के 2 किसानों ने 3 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर लगाई गाजर, कमाई लाखों में...

Advertisement

6/recent/ticker-posts

गांव बरासरी के 2 किसानों ने 3 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर लगाई गाजर, कमाई लाखों में...

 


नरेश बैनीवाल 9896737050

चोपटा प्लस। परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से खेती की जाए तो कमाई करने के लिए विपरीत परिस्थितियां भी सामने नहीं आती। गांव बरासरी के किसान सुरेश कुमार और दरीश खान ने चार साल पहले ठेके पर जमीन लेकर गाजर लगाकर कमाई का जरिया खोजा। दोनों ने 4 साल से 6 एकड़ जमीन साथ में मिलकर ठेके पर लेकर उसमें से 3 एकड़ में गाजर सब्जी की बिजाई करते हैं और 3 एकड़ में गेहूं व सरसों की बिजाई कर करीब 6 लाख रुपये सालाना कमाई कर रहे हैं।



3 एकड़ में गाजर लगाने से उनकी परंपरागत कृषि के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी शुरू हो गई। लीक से हटकर कुछ करने के जज्बे ने अपनों को गांव में एक अलग पहचान दिलाई। दोनों मिलकर गाजर से 4 लाख रुपए की अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे 30 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन ठेके पर लेते हैं। उसमें पहली छमाही में गाजर की बिजाई करते हैं और उसके बाद गेहूं या सरसों की बिजाई करते हैं। उन्होंने बताया कि गाजर की बिजाई अगस्त माह में की जाती है और नवंबर, दिसंबर में गाजर को निकाल कर बाजार में बेच देते हैं। उसके बाद उसी जमीन में गेहूं की बिजाई करके दूसरी आमदनी लेते हैं। जिससे उनके परिवार का पालन पोषण अच्छी तरह से हो रहा है।

पहले सब्जी बेचने का काम करता था अब शुरू की सब्जी लगाकर कमाई

गांव ब्रासरी के किसान दरीश खान ने बताया कि वह पहले गांव में फेरी लगाकर सब्जी बेचने का कार्य करता था। जिससे उन्हें सब्जियों के बारे में अच्छी जानकारी हो गई। उन्होंने 4 साल पहले गांव के सुरेश कुमार के साथ मिलकर 6 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर उसमें 3 एकड़ में गाजर की बिजाई की। जिससे उन्हें पहले साल काफी अच्छा मुनाफा हुआ। 3 एकड़ में उन्हें हर साल करीब सवा लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से कमाई होने लगी।

फसल पर नही करते रासायनिक दवा का छिड़काव, अन्य किसान भी जुड़े

उन्होंने बताया कि वे गाजर में कभी भी रासायनिक खाद या दवाइयों का छिड़काव नहीं करते। ताकि लोग बिना दवा वाली सब्जी खाकर उसके पोषक तत्वों का लाभ उठाए ना कि केमिकल युक्त खाकर अपना शरीर खराब करे। उन्होंने बताया कि प्रति एकड़ के हिसाब से 100 क्विंटल गाजर से ज्यादा पैदावार हो जाती है। जो कि 12 से 18 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक जाती है। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ