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नई दिल्ली, 23 नवम्बर। राहुल गांधी के करीबी रहे हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने मंगलवार को ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया । दिल्ली स्तिथ टीएमसी कार्यालय में ममता बनर्जी ने तंवर का पार्टी का पटका पहनाकर स्वागत किया और उन्हें जल्दी कोई बड़ी जिम्मेवारी देने के संकेत दिए। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि वह जल्द ही हरियाणा का दौरा भी करेंगी।इस मौके पर तंवर के सैंकड़ों समर्थक मौजूद रहे।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ मतभेद जगजाहिर हैं। वे राहुल गांधी,के बहुत करीब थे। तंवर सिरसा से सांसद भी रहे हैं और इंडियन यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे थे। लेकिन 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले वह नाराज कांग्रेस से अलग हो गए थे कांग्रेस से अलग होने के बाद तंवर ने अपना भारत मोर्चा बनाया है।
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विद्यार्थी राजनीति में सक्रिय हो गए थे तंवर-
अशोक तंवर का जन्म 12 फरवरी 1976 को झज्जर के गांव चिमनी में हुआ। डा. तंवर के पिता भारतीय सेना में रहे हैं। उन्होंने काकतिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने देश के प्रतिष्ठित संस्थान जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए किया। बाद में उन्होंने एमफिल और पीएचडी की डिग्री ली। जेएनयू में अध्ययन करते वक्त ही डा. तंवर विद्यार्थी राजनीति में सक्रिय हो गए। वे कांग्रेस के विद्यार्थी संगठन नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया के साथ जुड़ गए। साल 1999 में वे एनएसयूआई के सचिव बने और साल 2003 में वे अध्यक्ष बन गए। 29 बरस की आयु में वे युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने। साल 2009 के संसदीय चुनाव में राहुल गांधी ने उन्हें सिरसा के चुनावी मैदान में उतार दिया और उन्होंने इनेलो के डा. सीताराम को 35001 वोटों से हरा दिया। कांग्रेस हाईकमान ने फरवरी 2014 में डा. तंवर को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया। इस पद पर वे सितम्बर 2019 तक रहे। करीब दो दशक तक कांग्रेस की सियासत में सक्रिय रहने के बाद 5 अक्तूबर 2019 को उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। 17 माह तक उन्होंने हरियाणा से लेकर देश के तमाम राज्यों में सियासत की नब्ज टटोली और 25 फरवरी 2021 को अपना भारत मोर्चा का गठन कर लिया। अब वे टीएमसी में शामिल हो रहे हैं।
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