गांव शाहपुरिया के किसानों को रास आने लगी बागवानी, किसानों ने लगा रखे हैं 200 एकड़ में अनार, किन्नू , माल्टा, बेरी व अंजीर के बाग

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गांव शाहपुरिया के किसानों को रास आने लगी बागवानी, किसानों ने लगा रखे हैं 200 एकड़ में अनार, किन्नू , माल्टा, बेरी व अंजीर के बाग



नाथूसरी चोपटा।  नहरी पानी की कमी, बारिश समय पर ना होना, फसलों में विभिन्न प्रकार की बिमारियां व अन्य प्राकृतिक आपदाओं के आने से किसानों को परम्परागत खेती से घाटा ही होने लगा। जब परंपरागत खेती से आमदनी कम हो जाती है। और आर्थिक स्थिति डावांडोल हो जाती है। लेकिन गांव शाहपूरिया (सिरसा) के किसानों ने हौसला हारने की बजाए विभिन्न प्रकार के फलों के बाग लगा कर कमाई का जरिया खोजा। 20 किसानों ने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए करीब 200 एकड़ जमीन में अनार, अमरुद, बेरी, अंजीर सहित कई प्रकार की के फलों के बाग लगाए रखे हैं। इससे परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदन शुरू हो गई। लीक से हटकर कुछ करने के जज्बे ने गांव शाहपुरिया के किसानों को हरियाणा के साथ- साथ निकटवर्ती राजस्थान के आस पास के गांवों में अलग पहचान भी दिलवाई। जिससे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। 


गांव शाहपूरिया में किसानों ने लगा रखे हैं 200 एकड़ में बाग

राजस्थान की सीमा से सटे पैंतालिसा क्षेत्र के गांव शाहपूरिया में रेतीली जमीन व नहरी पानी की कमी के कारण किसानों ने परंपरागत खेती के साथ अतिरिक्त कमाई का जरिया खोजना शुरू किया। तभी सरकार द्वारा चलाई जा रही बागवानी स्कीमों को देखते हुए किसानों ने बागवानी की तरफ रुख किया तो पिछले 4 वर्ष में 20 किसानों ने 200 एकड़ में बाग लगा कर परंपरागत खेती के साथ अतिरिक्त कमाई शुरू कर दी। इन किसानों में राजवीर ने 10 एकड़ में अनार का बाग लगाया। कृष्ण कुमार सिंवर ने 25 एकड़ में किन्नू और माल्टा का बाग लगाया। इसी के साथ हनुमान राजपूत ने 5 एकड़ में अंजीर का बाग लगाया। रामकुमार कुलड़िया ने भी 2 एकड़ में अंजीर का बाग लगाया, इंद्रपाल यादव ने 2 एकड़ में अनार का बाग लगाया, हरि सिंह कुलड़िया ने 6 एकड़ में अनार किन्नू माल्टा का बाग लगा कर कमाई शुरू की।  अनूप कुमार ने 4 एकड़ में बेरी का बाग और 4 एकड़ में अनार का बाग लगा कर परंपरागत खेती के साथ बागवानी की तरफ रुख किया। रामकुमार सिंवर ने 4 एकड़ में अमरूद का बाग लगाया, किसान देवीलाल  ने 4 एकड़ में किन्नू माल्टा का बाग लगाया । सही राम गोदारा ने 4 एकड़ में अनार 6 एकड़ में अमरूद का बाग लगाया । ताराचंद यादव ने भी 4 एकड़ में अनार का बाग लगा कर अतिरिक्त कमाई का जरिया खोजा। प्रकार गांव के अन्य कई किसानों ने 1 से लेकर 5 एकड़ तक जमीन पर बागवानी शुरू कर दी है। इन किसानों बताया कि  रेतीली जमीन और नहरी पानी की कमी के कारण परंपरागत खेती से बचत कम होने लगी। सरकार द्वारा चलाई गई बागवानी स्कीमों के तहत उन्होंने अपने खेतों में डिग्गिया इत्यादि बनाकर ड्रिप सिस्टम से सिंचाई शुरू कर दी ।  जिससे पानी की बचत होने लगी तथा पौधों को सीधे उनकी जड़ों में खाद और पानी मिलने लगा।  बागवानी के साथ-साथ परंपरागत खेती भी होने लगी। 


मंडी दूर होने के कारण यातायात खर्च ज्यादा हो जाता है 

 कृष्ण कुमार सिंह व अन्य किसानों ने  बताया कि उसके गांव से सिरसा मण्डी  दूर पड़ती है। जिससे फलों को वहां ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है। उसका कहना है कि अगर फलों की मण्डी या फ्रूट प्रोसैसिंग प्लांट नाथूसरी चौपटा में विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी। इसके साथ ही सरकार द्वारा शुरू की गई बीमा स्कीमों को सही तरीके से लागू किया जाए।

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