कागदाना में जागरूकता कैंप लगाकर किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली अपनाने बारे किया प्रेरित, किसान अधिक जानकारी के लिए इनसे करें संपर्क... :

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कागदाना में जागरूकता कैंप लगाकर किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली अपनाने बारे किया प्रेरित, किसान अधिक जानकारी के लिए इनसे करें संपर्क... :


सिरसा, 05 अगस्त। उपायुक्त अनीश यादव के निर्देशानुसार एमआई काडा विभाग द्वारा किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से विशेष जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में वीरवार को जिला के गांव कागदाना की चौपाल में विशेष कैंप का आयोजन किया गया। कैंप में आसपास के गांव जोगीवाला व खेड़ी के किसानों ने भी भाग लिया। इस अवसर पर एमआई काडा विभाग के एसडीओ सौरभ चौहान, एग्रीकल्चर इंस्पेक्टर अरविंद कुमार सहित विभाग के जेई, जिलेदार, पटवारियों ने भाग लिया।

एमआई काडा विभाग के एसडीओ सौरभ चौहान ने मौजूद किसानों को एमआईकाडा विभाग द्वारा सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किसानों के लिए तीन प्रकार की योजनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अगर किसान समूह पानी की डिग्गी बनाते हैं तो उन्हें विभाग द्वारा 85 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा व्यक्तिगत किसान को 70 प्रतिशत तक तथा सोलर सिस्टम पर 75 प्रतिशत सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि माइक्रो इरीगेशन उपकरणें पर विभाग द्वारा 85 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। उन्होंने कहा कि कम पानी में सूक्ष्म सिंचाई बेहद कारगर है। उन्होंने किसानों से आह्वïान किया कि वे सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को अपनाएं, यह पद्दति जल संरक्षण में बेहद कारगर है।

किसान अधिक जानकारी के लिए इनसे करें संपर्क :
सूक्ष्म सिंचाई योजना या ऑनलाइन आवेदन के संबंध में विभाग के जेई विकास कुमार (99919-28001), नरेश कुमार (94666-97997), उमेश सेठी (99969-96609), धर्मपाल (92542-09990), अंकुर गुप्ता (94169-21654), बलकर्ण (82888-93550), चंद्रकेश (74043-84266), मनोज कुमार (82959-20387), नरेश (94163-00991), पटवारी कुलदीप (94163-25600) व कैलाश (94660-50550) या लिपिक संदीप कुमार (93517-22467) से संपर्क कर सकते हैं। योजना के लिए आवेदन करने के लिए किसान किसी भी सीएससी या कॉडा कार्यालय के माध्यम से अथवा स्वयं भी पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं।

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एचएयू प्रदेश के कृषि विभाग के अधिकारियों को देगा प्रशिक्षण : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज
कपास फसल के उत्पादन बढ़ाने, कीट व रोगों के समाधान के प्रति करेगा जागरूक
सिरसा, 5 अगस्त। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार प्रदेश के कृषि विभाग के अधिकारियों को कपास फसल के उत्पादन बढ़ाने, कीट व रोगों के समाधान के प्रति करेगा जागरूक करेगा। विश्वविद्यालय की ओर से उन्हेें प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे संबंधित गांवों में जाकर किसानों की समस्याओं का समाधान कर सकें। प्रशिक्षण संबंधित कृषि विज्ञान केंद्रों पर आयोजित किए जाएंगे जिसमें जिले के एसडीओ, बीएओ, एडीओ सहित अन्य कृषि विस्तार अधिकारी शामिल होंगे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने बताया कि पिछले कई दिनों से विभिन्न कपास उत्पादक जिलों में उन्होंने स्वयं वैज्ञानिकों की टीम के साथ दौरा कर फसलों का जायजा ले रहे हैं। इसी के तहत सामने आने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले दो-तीन सालों में कपास की फसल में पेराविल्ट, विल्ट, रस चूसक कीटों सहित अन्य कीटों के प्रकोप के चलते आई समस्या से फसल उत्पादन कम हुआ था जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। इसलिए भविष्य में ऐसी समस्या न आए इसके लिए प्रशिक्षण शिविर अगस्त माह के प्रथम पखवाड़े से शुरू किया जाएगा जिसे सितंबर माह में भी जारी रखा जाएगा।

कपास उत्पादक क्षेत्रों को किया जाएगा शामिल
विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश के उन क्षेत्रों के कृषि विकास अधिकारियों को मुख्य रूप से शामिल किया जाएगा जहां कपास अधिक मात्रा में बोई जाती है। उन्होंने बताया कि इसके लिए निदेशालय की ओर से एक शेड्यूल भी बना दिया गया है जिसमें मुख्य रूप से भिवानी, चरखी दादरी, हिसार, सिरसा, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, फतेहाबाद, जींद, रोहतक, झज्जर व पलवल जिलों को शामिल किया गया है। इन जिलों में कार्यरत हरियाणा सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के विस्तार अधिकारियों के लिए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्रों पर ही किया जाएगा ताकि उन्हें प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने के लिए किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

विश्वविद्यालय की समग्र सिफारिशों से भी कराया जाएगा अवगत
इस प्रशिक्षण शिविर में अधिकारियों को विश्वविद्यालय की समग्र सिफारिशों से अवगत कराया जाएगा ताकि किसान उसी अनुरूप अपनी फसलों में इनका प्रयोग करें। पिछले सालों में देखने में आया है कि किसान जागरूकता के अभाव या फिर किसी अन्य कारणों से विश्वविद्यालय की समग्र सिफारिशों का समुचित लाभ नहीं उठा पा रहे हैं जिसके चलते कपास फसल की पैदावार में गिरावट दर्ज की गई थी। साथ ही बिना कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के किसानों द्वारा फसलों पर कीटनाशकों व फफूंदनाशकों के अंधाधुंध छिड़काव से आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा था।

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