रुपावास, सिरसा,नाथूसरी चौपटा।।
जिस आजादी का नमाज पर्व मना रहे हैं वो आजादी हमारे असंख्य शहीदों के बलिदान से आई है। सोच कर देखो उन महापुरुषों ने कितने कष्ट सहे होंगे। अपनी खुशियों को भेंट चढ़ा कर उन्होंने हमें खुशी दी। गुलामी चाहे तन की हो या मन की किसी को सुख नहीं दे सकती। लेकिन क्या हम अपने वीर शहीदों के बलिदान का सही मायने में ऋण उतार रहे हैं। उन महापुरुषों का ऋण उतरेगा अपने समाज को और देश को खुशहाल बना कर और देश खुशहाल तभी होगा जब इस देश का प्रत्येक नागरिक जीवन जीने का सही तरीका अपना लेगा। जीवन जीने का सही तरीका है इन्सानी चोले को सार्थक करना और ये सन्तो की शरणाई से ही सम्भव है। यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने रूपावास गांव में स्थित राघास्वामी आश्रम में फरमाए।स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए हुजूर कंवर साहेब जी कहा कि हम बुरी भावना को त्यागने का संकल्प उठाएं और अच्छा जीवन जीने का मार्ग खोजे।बुराइयों को त्यागे बिना हम अच्छाई को अपने अंतर में नहीं उतार सकते।
उन्होंने कहा कि मत भूलो कि जब इंसान पर बुराइयों का भार चढ़ जाता है तो उसे अनेको कष्ट उठाने पड़ते हैं। पूर्व के जन्मों के बुरे कर्मो का लेखा आप इस जीवन में मिटा सकते हो।पूर्ण सन्त सतगुरु की शरण में जा कर आप ना सिर्फ आप अपने कर्मो से छुटकारा पा सकते हो बल्कि इस संसार से आवनजान से मुक्ति भी पा सकते हो। गुरु महाराज ने फरमाया कि आजादी के पर्व के साथ साथ आज गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्मदिवस भी है।गोस्वामी तुलसीदास जी बारह महीने अपनी माता के गर्भ में रहे।जन्म से ही उनके अंदर बतीस दांत थे और पैदा होते ही उनके मुख से रोने की जगह राम नाम निकला था।गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना कर जनमानस में श्री रामचन्द्र जी की कथा को जन जन में प्रचलित किया। जिसका ख्याल ऊंचा होता है वही परमात्मा का गुणगान कर सकता है और उनकी सम्भाल भी स्वयम परमात्मा ही करता है।हुजूर महाराज जी ने कहा कि हमारा जन्म ही सदकार्यो के लिए हुआ है लेकिन काल और माया के फन्दों में हमने अपने आप इतना उलझा लिया कि हमें अच्छे कर्मों का ख्याल ही नही आता।
उन्होंने कहा कि जिस तुलसीदास जी को इस जगत ने ठोकर मारी उन्होंने अपने संकल्प से स्वयं हनुमान जी के साक्षात दर्शन किये। उन्होंने कहा कि जब तुलसीदास जी राम कथा करते थे तो हनुमान जी साक्षात उपस्थित रहते थे। हनुमान जी की कृपा से ही तुलसीदास जी ने रामचन्द्र जी के दर्शन किये थे।गुरु महाराज जी ने कहा कि तुलसीदास जी द्वारा रचित महाग्रन्थ से हमें समाजिक मूल्यों का बोध होता है।रामचरित मानस के एक वचन मात्र से ही आपकी जिज्ञासाएं समाप्त हो जाएंगी।हुजूर महाराज जी ने कहा ज्ञान का तो एक पलका ही आपका जीवन बदल देगा।
तुलसीदास जी के साथ भी यही हुआ था।उनकी पत्नी ने उन्हें कहा था कि जितनी नियत आपकी काम वासनाओ में है उतनी ही यदि हरि में हो जाये तो आपका जीवन सफल है। हुजूर ने कहा कि सच है कि जो मन से वचन से और कर्म से पवित्र हो जाता है वो ना सिर्फ खुद का अपितु लाखो करोड़ो का जीवन भी सफल बना देता है।उन्होंने कहा कि आपके अंदर सामर्थ्य है शक्ति है लेकिन उसका उपयोग करना नहीं आता है।अपने लालच के लिए किसी को कष्ट ना दो।अपने स्वार्थ के लिये किसी को तकलीफ ना दो।अगर अपने जैसा जीव दुसरो को मान लोगे तो आपके ख्यालात ऊंचे रहेंगे।उन्होंने कहा कि निर्लेप होकर सच्चे खोजी बन जाओगे तो आपको भी तुलसीदास जी की ही भांति परमात्मा के दर्शन हो जाएंगे।जिस गुरु ने आपकी दुर्मति दूर की है उसे कभी मत भूलो।कोई झूठ कपट पाप करने से पहले विचार करो कि इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम स्वयं आपको ही मिलेगा।हुजूर महाराज जी ने कहा इंसान का जातीय गुण भलाई का है लेकिन गलत संगत के कारण हम बुराइयों में लिप्त होते जाते हैं।सत्संग में जाकर भी यदि हृदय से बुराई नहीं निकली,पाप कर्मों से निजात नहीं पाई तो समझो कमी आपकी अपनी है।
उन्होंने कहा कि जिसका जैसा गुण होता है वो वैसा ही दूसरों पर भी छोड़ता है।जैसे बदबू वाली वस्तु को एक जगह रखकर वहां से हटा भी लोगे तो भी उस जगह पर काफी देर तक बदबू रहेगी वैसे ही बुरे व्यक्ति की संगत करने के बाद आपके अंदर भी बुराइयां रहेंगी ही रहेंगी।इसलिए बुरे का संग मत करो।हमारे कर्म हम स्वयं बनाते हैं।मन वचन और कर्म से पाक पवित्र रहो।अगर आपकी भक्ति और आस्था पक्की है तो पूरी कायनात आपकी मदद में लग जाती है।गुरु महाराज जी ने कहा जो हमें सच्चा मार्ग दिखा दे वही हमारा गुरु है।गुरु नाम ज्ञान का है।गुरु आपके मार्ग अवरुद्ध नहीं करता बल्कि आपके सामने अनेको मार्ग खोलता है।
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