कुम्हारिया में पीने के पानी की किल्लत, खरीदकर पीना पड़ रहा है पानी, भयंकर गर्मी में महिलाएं सिर पर मटका रखकर दूर-दूर से ला रही है पानी

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कुम्हारिया में पीने के पानी की किल्लत, खरीदकर पीना पड़ रहा है पानी, भयंकर गर्मी में महिलाएं सिर पर मटका रखकर दूर-दूर से ला रही है पानी

 


चोपटा। सिरसा जिले के अंतिम छोर पर पड़ने वाले गांव कुम्हारिया में पीने के पानी की समस्या गंभीर बनी हुई है। भयंकर गर्मी में महिलाओं को सिर पर मटके रखकर दूर दूर से पानी लाना पड़ रहा है। गांव में बने जलघर से पानी की सप्लाई  बंद है वहीं पानी के टैंकर वाले वाटर वर्क्स के जल घर से पानी लेकर लोगों से 250 रुपए से 500 रुपए तक वसूल रहे हैं। ग्रामीणों को पेयजल खरीदकर पीना पड़ रहा है । जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नहरों में पानी की कटौती करने के कारण पीने के पानी की समस्या पैदा हुई है।

राजस्थान की सीमा से सटे चौपटा क्षेत्र के गांव कुम्हारिया में पीने के पानी का प्रबंध करने के लिए ग्रामीण महिला व पुरुष भयंकर गर्मी में सारा दिन लगे रहते हैं। 

ग्रामीण वेद प्रकाश, महेंद्र सिंह, दलबीर सिंह, दारा सिंह, रामकुमार, कृष्ण कुमार, हनुमान सिंह, संदीप कुमार, जगदीश, महावीर, बलबीर सिंह ने बताया कि एक और जहां सरकार 70 लीटर पानी देने का वायदा करती है वहीं घरों में मटके खाली पड़े हैं। गांव के जल घर से पानी सप्लाई नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि जब जल घर के कर्मचारियों अधिकारियों से बात करते हैं तो वह कहते हैं कि जो जल घर की डिग्गियों में पानी नहीं है लेकिन दूसरी तरफ पानी के टैंकर वाले जलघर से पानी लेकर लोगों से 250 से 500 रुपए वसूल कर रहे हैं। साधन संपन्न लोग तो अपने घरों में पानी के टैंकर से पानी भरवा लेते हैं ।लेकिन गरीब व जरूरतमंद लोगों को पानी सिर पर मटके रखकर दूर-दूर से लाना पड़ता है। इस भयंकर गर्मी में पूरा दिन पीने के पानी का प्रबंध करने में ही गुजर जाता है। इनका कहना है कि पीने के पानी की कमी के कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है अगर एक-दो दिन में पीने के पानी का प्रबंध नहीं हुआ तो उन्हें मजबूरन तहसील या जिला मुख्यालय पर मटका फोड़ प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।


इनका कहना है कि सरकार को नहरी पानी में कटौती वापस लेनी चाहिए, ताकि जलकर की डिग्गियों में पानी प्राप्त मात्रा में इकट्ठा हो सके। ग्रामीणों ने बताया कि पहले नहरों में पानी 2 सप्ताह के लिए आता था और नहर 1 सप्ताह के लिए बंद होती थी। जिससे खेतों में पानी ठीक लग जाता था और जल घर में भी पर्याप्त मात्रा में पानी आने से कभी भी पानी की किल्लत नहीं हुई । लेकिन इस सरकार द्वारा पिछले 2 साल से नहरी पानी की कटौती करने के बाद लगातार खेतों में और जल घर की डिग्गी में पानी की कमी बनी हुई है। सरकार को भयंकर गर्मी को देखते हुए तुरंत प्रभाव से नहरी पानी में कटौती वापिस कर लोगों को पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवानी चाहिए।


जन स्वास्थ्य विभाग के जेई अमन कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कुम्हारिया के जल घर  में 2 डिग्गियां बनी हुई है जिनमें पानी नहीं बचा है जिससे  पेयजल की सप्लाई नहीं हो पा रही है। जलघर के कुओं में  पेयजल सप्लाई के लिए पानी इकट्ठा किया हुआ है वहां से टैंकर चालक पानी लेकर जा रहे हैं। नहर में पानी 15 दिन के लिए बंद किया जा रहा है जिससे जलघर की डिग्गियों में पानी भरा जाता है वह मात्र 10- 12 दिन ही सप्लाई हो पाता है । अब तीन-चार दिन तक पानी सप्लाई नहीं किया जा सकेगा।  जब नहर  में पानी में  आ जाएगा उससे डिग्गियो में पानी भरा जाएगा उसके बाद पानी सप्लाई हो पाएगी। तब तक जलघर के कुओं में पड़ा पानी ग्रामीण जरूरत के अनुसार ले जा सकते हैं टैंकर चालकों को रोक  दिया जाएगा।

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6 टिप्पणियाँ

  1. Kagdana ka bhi yahi hal h yaha abhi karodo rupee se digi ki murmad karwayi gyi h par result 0 hai. Gaon me tyubel ka pani supply hota h wo bhi 5 se 7 days k bad supply aati h

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  2. इसमें किसी एक पक्ष को गलत नहीं ठहराया जा सकता है इसमें सभी अपनी अपनी जगह सही ओर गलत है
    अगर हरियाणा सरकार की बात करे तो उनके हिसाब से पीछे डेम में पानी कम होने के कारण पानी की कटौती किया गया है इसमें हरियाणा सरकार ने अपनी सूझ बूझ से काम लेते हुए किसी एक छेत्र का पानी बंद ना करके पूरे प्रदेश के पानी सप्लाई के शेड्यूल में कटौती किया है
    अगर पब्लिक हैल्थ इंजिनियरिंग डिपार्टमेंट के हिसाब से देखे तो पहले जहां गांव की आबादी कम था तब गांव के जल घर में बनी हुई दो डिग्गी से सप्लाई का काम चल जाता था वहीं अब एक तो गांव की आबादी बढ़ गया है दूसरा गर्मी का विशेष मोसम है उसमे ये समस्या उत्पन हुआ है
    अगर गांव वालो के हिसाब से देखा जाए तो आजकल गांव में भी शहर के तर्ज पर विकास हुआ है जहां पर शौचालय में मॉर्डन शीट लगने से ओर किचन में शिंक लगने ओर बाथरूम में फ़वारा ओर नल से पानी का खपत पहले से ज्यादा हो रहा है
    सभी पक्ष के पास अपना अपना तर्क है जरूरत है तो सभी को अपने स्तर पर थोड़ा थोड़ा बदलाव करने की जिससे इसका समाधान हो पाए

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  3. सबसे पहले तो मैं नरेश भाई का आभार प्रकट करता हूं की गांव की हर समस्या को उठा कर प्रशासन को समय-समय पर अवगत कराने का काम करते हैं। ये समस्या भी बेहद गंभीर है इस भयंकर गर्मी के मौसम में। वाटर वर्क्स के कर्मचारियों को पता है कि नहर बंदी दो सप्ताह रहती है तो उनका फर्ज बनता है कि गांव में कितने पानी को किस तरह से सप्लाई करने से गांव को पानी की समस्या से बचाया जा सकता है। अगर घरों तक पानी की सप्लाई बंद करने से समस्या का हल नहीं है पहले दिन से जो टैंकर से पानी उठा रहे हैं उनको रोकने का काम भी वाटर वर्क्स के कर्मचारियों का है।वाटर वर्क्स से पानी उठा कर टैंकर वाले गांव वालों से@@५००रुपए तक एठ रहें हैं इस में दोष वाटर वर्क्स के कर्मचारियों का है ने की गांव वालों का ।

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