प्रवक्ता बलजीत राव ( मोबाइल नं 9416640104)
नाथूसरी चौपटा (नरेश बैनीवाल) रेतीली जमीन, नहरी पानी की कमी, मंदे भाव और फसलों पर प्रकृति के प्रकोप के कारण लगातार उत्पादन गिरने से परंपरागत खेती घाटेे का सौदा बनती जा रही है। ऐसे मेंं किसान अपनी सूझबूझ, मेहनत और लगन से परंपरागत खेती के साथ-साथ अतिरिक्त कमाई का जरिया खोजनेे में लगेेे रहते हैं। इसी कड़ी में गांव साहूवाला द्वितीय ( सिरसा) के किसान सेवानिवृत्त प्रवक्ता बलजीत राव ने 4 एकड़ में तरबूज और 4 एकड़ में खरबूजा लगाकर परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदनी शुरू की। बलजीत राव ने अपनी पत्नी सरपंच अनिता राव व एमबीए पास पुत्र दुष्यंत राव के सहयोग से आधुनिक तरीके से खेती करके जो दौलत और शोहरत हासिल की है उसकी क्षेत्र में चारों तरफ सराहना की जा रही है । लीक से कुछ हट कर कुछ करने के जज्बे नेे शिक्षा, राजनीति व समाज सेवा के साथ-साथ बलजीत राव व अनिता राव को आस-पास के गांवों में अलग पहचान भी दिलवाई । अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद तरबूज और खरबूजे लगाकर शुरू की अतिरिक्त कमाई
प्रवक्ता बलजीत राव ( मोबाइल नं 9416640104) ने बताया कि उन्होंने पिछले वर्ष साल 2020 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर खेती पर ध्यान देना शुरू किया। आधुनिक खेती करने के इरादे से उन्होंने फल सब्जियों के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। उन्होंने बताया कि अपने ससुराल गांव खारियां डोबी से प्रगतिशील किसान सुरेंद्र और विजेंदर से प्रेरणा लेकर खरबूजा और तरबूज लगाने का मन बनाया। अपनी सरपंच पत्नी अनीता राव के सहयोग से 4 एकड़ में खरबूजा और 4 एकड़ में तरबूज लगाकर कमाई शुरू की। जिसे उन्हें डेढ़ लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से कमाई होने लगी। उन्होंने बताया कि 1 एकड़ में करीब 150 क्विंटल खरबूजे की पैदावार हो जाती है। और जिस का भाव 22 से 25 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से मिलता है। इसी प्रकार तरबूज का उत्पादन भी अच्छा हुआ इस समय तरबूज 13 से 16 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक रहा है। उन्होंने बताया कि उन्होंने पहले ही किन्नू का बाग लगा रखा है जिसमें उन्हें सरकार द्वारा अनुदान पर पानी की डिग्गी, ड्रिप सिस्टम और 10 हॉर्स पावर का सोलर सिस्टम मिला हुआ है जिससे खरबूजे में तरबूज की फसल में ड्रिप सिस्टम द्वारा सिंचाई करके पानी की बचत हो जाती है और फल भी खराब नहीं होते। उन्होंने बताया कि ड्रिप सिस्टम से पानी व खाद व दवाई सीधे पौधे की जड़ों में मिल जाती है तथा पानी बेकार नहीं जाता। उन्होंने बताया कि इस कार्य में उनकी सरपंच पत्नी अनीता राव अपनी व्यस्त जीवनशैली होने के बावजूद भी हर दिन 3 से 4 घंटे फसल की देखभाल अवश्य करती है। उन्होंने बताया कि उनके खेत में लगे तरबूज में खरबूजे को आसपास के गांव के लोग काफी पसंद करते हैं। उनका कहना है कि परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से फल, सब्जी इत्यादि लगाकर किसान आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
उनका कहना है कि मंडी दूर होने के कारण यातायात खर्च ज्यादा हो जाता है। तरबूज में खरबूजे को बेचने के लिए कई बार बठिंडा या अन्य मंडियों में ले जाना पड़ता है। सिरसा के आसपास फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट विकसित हो जाए तो यातायात कम खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी।
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