कारगिल युद्व में शहीद हुए गांव तरकावाली के कृष्ण कुमार की शहादत पर ग्रामीणों को नाज, शहीद कृष्ण कुमार की शहादत के दिन 30 मई को गांव में स्मारक स्थल पर ग्रामीण व परीजन अपने स्तर पर करते हैं शहीद को नमन,

Advertisement

6/recent/ticker-posts

कारगिल युद्व में शहीद हुए गांव तरकावाली के कृष्ण कुमार की शहादत पर ग्रामीणों को नाज, शहीद कृष्ण कुमार की शहादत के दिन 30 मई को गांव में स्मारक स्थल पर ग्रामीण व परीजन अपने स्तर पर करते हैं शहीद को नमन,


भारतीय सेना में 17वीं जाट रेजिमेंट का बहादुर  सिपाही कृष्ण कुमार निवासी गांव तरकांवाली जिला सिरसा कारगिल कि सबसे दुर्गम चोटी टाईगर हिल्स पर दूश्मनों से लोहा लेते हुए 30 मई 1999 को शहीद हो गया था, लेकिन अपनी बहादुरी के बल पर 8 पाक सैनिको को मौत कि नींद सुला दिया था। भीषण गोलीबारी और सर्दी के कारण सेना कृृष्ण कुमार क ा पार्थिव शरीर बरामद नहीं कर पाई थी, 45 दिन बाद बर्फ में शहीद का शव भी मिल गया जिसे लेकर भारतीय सेना के जवान 16 जुलाई को गांव तरकांवाली पहुंचे और पूरे राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार किया। शहीद कृष्ण कुमार की सेना में पहली नियुक्ति श्री नगर में हुई थी अंत तक वहीं रही। सैनिक के साथ साथ अच्छे बालीबाल खिलाड़ी के रूप में भी याद करते हैं। उसकी शादी 27 मई 1998 को समीप के ही गांव जांडवाला बागड़ में औमप्रकाश की पुत्री संतोष से हुई थी।

कारगिल युद्व में शहीद हुए गांव तरकावाली के कृष्ण कुमार की शहादत पर ग्रामीणों को नाज, कृष्ण की शहादत के दिन 30 मई को गांव में स्मारक स्थल पर ग्रामीण व परीजन अपने स्तर पर करते हैं शहीद को नमन, सरकार व प्रशासन की तरफ से कोई श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचता। शहीद के घर को जाने वाली सड़क अभी तक कच्ची, 

Reporting by Naresh Beniwal 9896737050
चोपटा। सरकार घोषणाएं तो करती है लेकिन अक्सर अमल करना भूल जाती है या फिर आधी अधूरी ही पूरी हो पाती है। सामान्य लोगों के लिए की गई घोषणाओं कि तो अनदेखी की जा सकती है। लेकिन यदि मामला देश पर प्राण न्यौछावर करने वाले जांबाज सिपाही का हो तो लोगों के मन में पीड़ा होना स्वाभाविक है। फिर भी कारगिल युद्व में शहीद हुए नाथूसरी चोपटा खंड के गांव तरकावाली के  जांबाज सिपाही कृष्ण कुमार की शहादत पर क्षेत्र के लोगों को नाज है। लेकिन ग्रामीणों व परीजनों को इस बात का मलाल रहता है कि कृष्ण की शहादत के दिन 30 मई को गांव में स्मारक स्थल पर ग्रामीण व परीजन अपने स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन कर शहीद को नमन करते हैं। सरकार व प्रशासन  कि तरफ से कोई श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचता। विक्रम सिंह, मुकेश कुमार, मनोज कुमार कहना है कि सरकार, प्रशासन व नेता लोग शहादत का दिन भूल सकते हैं परंतु वे कभी नहीं भूल सकते। ग्रामीणों का कहना है कि कारगिल युद्व में शहीद हुए खंड के गांव तरकावाली के  जांबाज सिपाही कृष्ण कुमार कि शहादत को प्रशासन हर बार भूल जाता है। इनका कहना है कि सरकार ने जो घोषणाएं की थी वह भी आधी अधूरी ही पूरी हो पाई है। इतना जरूर है कि शहीद के आश्रितों को आर्थिक सहायता दी जा चूकी है, शहीद के भाई को सरकारी नौकरी के अलावा परिजनों को गैस एंजैसी भी दे रखी है। गांव के स्कूल का नामकरण तो शहीद के नाम से हो गया है परंतु स्कूल का दर्जा नहीं बढाया गया है। गांव के पास गुजरने वाली सड़क का नामकरण शहीद के नाम होना बाकी है। इसके अलावा गांव में बने स्मारक पर शहीद की प्रतिमा को परीजनों ने अपने खर्चे पर स्थापित किया है तथा स्मारक की चारदीवारी ग्राम पंचायत द्वारा निकलवाई गई है। शहीद के घर को जाने वाली सड़क अभी तक कच्ची है। सिरसा में गोल डिग्गी चौक पर शहीद कृष्ण कुमार की प्रतिमा स्थापित कि गई है। 

 


 

शहीद की वीरांगना संतोष का कहना है कि वह अपने परिजनों के साथ गांव के पास खेत में बनी ढाणी में रहती है, वहां पर जाने वाली सड़क अभी तक कच्ची है रेत भरे रास्ते से गुजरना काफी मुश्किल होता है। उसे इस बात का मलाल रहता है कि शहादत के दिन को सरकार व प्रशासन हर बार भूल जाता है,लेकिन वह कभी नहीं भूलती। उसका कहना है कि अपने पति की पति की शहादत पर गर्व है। यदि सरकार इसी प्रकार शहीद ही शहादत की अनदेखी करती रही तो तो यह देश के लिए शहादत देने वालों का घोर अपमान होगा।
फोटो। शहीद की विरांगना, शहीद के घर को जाने वाली कच्ची सड़क   

Reporting by Naresh Beniwal 9896737050

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ