एसडीएम विजय सिंह ने कहा कि नशा एक ऐसी बीमारी है, जोकि व्यक्ति विशेष के साथ-साथ परिवार व समाज को प्रभावित करती है। नशा को खत्म करना सबकी सामूहिक जिम्मेवारी है और इसके लिए नागरिकों को जागरूक व एकजुट होना होगा, तभी हम अपने क्षेत्र व जिला को नशा मुक्त बनाने में सफल होंगे। अभियान से जुड़ा हर व्यक्ति अपनी जिम्मेवारियों को ईमानदारी से निभाते हुए नशा मुक्त समाज के निर्माण में योगदान दें।
एसडीएम मंगलवार को नशा मुक्त भारत अभियान के तहत कालांवाली की सालासर धर्मशाला में आयोजित वर्कशॉप कम सेमिनार में उपस्थित आंगनवाड़ी वर्कर व स्वयंसेवियों को संबोधित कर रहे थे। इस वर्कशॉप का उद्ेश्य आंगनवाड़ी वर्करों व स्वयंसेवियों को नशे की जागरूकता को लेकर प्रशिक्षित करना था, ताकि वे लोगों को नशा के प्रति जागरूक करके उन्हें नशा छोडऩे के लिए प्रेरित कर सकें। इस अवसर पर वक्ताओं ने नशा से होने वाले दुष्प्रभावों व इससे बाहर निकलने के तौर-तरीकों पर प्रकाश डाला। वर्कशॉप में जिला समाज कल्याण अधिकारी नरेश बतरा, जिला बाल कल्याण अधिकारी पूनम नागपाल, जिला सलाहकार स्वच्छ भारत मिशन सुखविंद्र सिंह, मनौचिकित्सक डा. रविंद्र पुरी आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर एसडीएम ने सभी को नशा मुक्ति की शपथ भी दिलवाई।
एसडीएम विजय सिंह ने कहा कि नशे को जड़मूल से खत्म करने के लिए हर व्यक्ति का जागरूक व एकजुट होना जरूरी है। नशा एक सामाजिक बुराई है, जिसे दूर करने की जिम्मेवारी समाज के हर व्यक्ति की है। देश को नशा मुक्त करने के उद्ेश्य से चलाए गए नशा मुक्त भारत अभियान की सफलता के लिए सभी को अपना सहयोग देना होगा और यह तभी संभव है, जब हर नागरिक इस अभियान से जुड़कर अपनी जिम्मेवारियों का ईमानदारी से निर्वहन करें।
उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी वर्कर का हर घर में सीधा जुड़ाव रहता है, इसलिए इस कार्य में आंगनवाड़ी वर्कर अहम भूमिका निभा सकती है। घर-घर जाकर लोगों को नशा के दुष्प्रभावों के बारे में बताएं और नशा न करने के लिए जागरूक करें। इसके अलावा स्वयंसेवी संस्थाएं और गांव के बुजुर्ग भी ग्रामीणों से जुड़कर युवाओं को नशे के दुष्परिणाम बताएं और उन्हें खेलों व अन्य गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अच्छे संस्कार भी दें, ताकि वे अपनी ऊर्जा समाजहित में लगा सके।
एसडीएम ने कहा कि जिला को नशा मुक्त बनाने के लिए अधिकारी, कर्मचारी व स्वयंसेवी संस्थाएं मिशन के रुप में कार्य करें, इससे न केवल हम युवाओं को नशे से बचा पाएंगे बल्कि जिला को नशा मुक्त बनाने में भी अवश्य कामयाब होंगे। उन्होंने कहा कि शुरूआत स्वयं से करते हुए अपने परिवार व आसपास के लोगों को नशा न करने के लिए प्रेरित करें।
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