बैंक कर्मचारियों की हड़ताल का दूसरा दिन : बैंकों के निजीकरण के खिलाफ निकाला रोष मार्च, सरकार के खिलाफ की जमकर नारेबाजी | Chopta Plus

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बैंक कर्मचारियों की हड़ताल का दूसरा दिन : बैंकों के निजीकरण के खिलाफ निकाला रोष मार्च, सरकार के खिलाफ की जमकर नारेबाजी | Chopta Plus

Chopta Plus Naresh Beniwal 9896737050

Sirsa 

डबवाली। बैंकों के निजीकरण के खिलाफ आज लगातार दूसरे दिन भी बैंक कर्मचारियों ने जोरदार नारेबाजी करते हुए शहर के मुख्य बाजारों में रोष मार्च निकाला। पंजाब नेशनल बैंक से शुरू होकर लगातार तीन घंटें चला यह सरकार विरोधी रोष मार्च मुख्य बाजार, गांधी चौक, गोल बाजार, सब्जी मंडी से होते हुए वैद्य उत्तम गली, जीटी रोड़, चौटाला रोड, कॉलोनी रोड़ से होते हुए वापिस पंजाब नेशनल बैंक के सामने समाप्त हुआ। रोष मार्च को संबोधित करते हुए एसके वर्मा ने कहा कि बैंक कर्मचारियों की मांग है कि सरकारी बैंकों को निजी हाथों में न सौंपा जाए। उन्होंने कहा कि इससे कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है और आम जनता को भी असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीयकरण बनाए रखना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझ कर कुछ पुंजीपत्तियों को फायदा पुहचाने के लिए ऐसे खतरनाक कदम उठा रही है, जिसका खामियाजा देश की जनता को भुगतना पड़ सकता है। 
इस दौरान डबवाली बैंकर्स क्लब के प्रधान नवदीप बंसल ने अपने संबोधन में  कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि सरकार मनमर्जी से अपने फैसले जनता पर थोप रही है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार जीएसटी लागू करने के संबंध में व्यापारियों की राय नहीं ली गई, कृषि कानूनों की लागू करते समय किसानों की राय नहीं ली गई और अब इसी क्रम में बैंकों के निजीकरण के दौरान संबंधित बैंकों से कोई राए मशवरा केन्द्र सरकार द्वारा नहीं किया गया। जिससे साफ होता है कि सरकार तानाशाही पर उतर आई है और जिसका विरोध अब जनता सडक़ से लेकर संसद तक करेगी। उन्होंने कहा कि देश में 12 राष्ट्रीयकृत बैंकों में करीब 13 लाख कर्मचारी काम करते हैं। इन बैंकों के निजीकरण के फैसले से इन कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है, सरकार की गलत नीतियों की वजह से कर्मचारी तनाव में हैं और नाराज हैं। करीब 13 लाख बैंककर्मी सरकार की नीतियों की वजह से अपने भविष्य को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसलिए सरकार को जल्द से जल्द अपना फैसला वापिस लेना चाहिए नहीं तो किसानों की तर्ज पर बैंक कर्मचारियों को भी  सरकार के खिलाफ  लड़ाई लडऩे के लिए विवश होना पड़ेगा। 
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए विक्रम चौधरी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि निजीकरण को रोकने के लिए बैंक कर्मचारी केन्द्र सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि विभिन्न ट्रेड यूनियनों के साथ आम जनता का समर्थन भी उन्हें मिल रहा है। अगर सरकार ने अपनी हठधर्मिता नहीं छोड़ी तो बैंक कर्मचारियों को भी कठोर निर्णय लेने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि ये लड़ाई सिर्फ बैंक कर्मचारियों की नहीं बल्कि आम जनता की भी लड़ाई है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले का डटकर विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार अपना निर्णय वापिस नहीं लेगी, कर्मचारी किसी भी हालत में पीछे नहीं हटेंगे। रोष मार्च के दौरान राखी मोंगा, एचएस लूना, कपिल देव, टेकचंद बागड़ी, राकेश कुमार, बलवंत राय व नीतिश शर्मा ने भी अपना संबोधन देते हुए सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना की। इस मौके पर राजीव कुमार, स्वदेश कुमार, कपिल, विक्रम, विनोद कुमार, राकेश कुमार, रवि नदन, कृष्ण गिलोतरा, रविन्द्र कुमार, एसके मित्तल, कपिल देव, कमल कुमार , रामधीर, सुनील महेन्द्रा, अजय कुमार, हर्षल गर्ग, नवीन सेठी, लीला राम, सुखप्रीत सिंह, पंकज शर्मा, संजय गुप्ता, गोविंद गोपाल गुप्ता, एचएस लूना, हरबंस लाल, दीपक चावला, संजय, प्रसुन गोयल, प्रकाश गोयल, सोम प्रकाश बंसल, प्रदीप कुमार, अनील कुमार, पंकज सिंगला, रेखा, जगजीवन सिंह, आशीष कुमार गर्ग, दीपिका सिंघल, वीना कम्बोज, गोपाल चाचाण, पी.सी. सुथार, निरंजन लाल मिड्डा, कमल कुमार, नरेश कुमार, रंजना गोयल, जसविंद्र सिंह, गुरूप्रीत सिंह, नंद लाल तनेजा, डीआर सकरमल, गुरूजीत सिंह, दीपक कुमार, श्याम सुंदर, राधाकृष्णा सहित अनेक कर्मचारी मौजूद रहें।

 

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