हाल ही में समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण एवं अर्थपूर्ण जान्नति हुई। अनेक समाजशास्त्रियों जैसे आगसते काम्टे के कार्यों के अलावा, ईमाइल दुर्खाइम ए.आर रैडक्लिफ ब्राउन, ब्रेनिसला मेलिनोस्की टालकॉट पार्सन्स और रॉबर्ट के मर्टन जो मुख्यतः प्रत्यक्षवाद से प्रभावित थे.
एक बड़ी सीमा तक प्रत्यक्षवाद की दार्शनिक पृष्ठभूमि के अलावा, एक अन्य विद्यारधारा को भी देखा जिसकी शुरुआत जर्मन समाजशास्त्री मैक्स वेबर ने की थी।
मैक्स वैबर ने समाजशास्त्र को सामाजिक क्रिया की व्याख्यात्मक समझ के रूप में परिभाषित किया। इस प्रकार मैक्स वेबर ने व्यक्तिनिष्ठता, व्यक्तिगत समझ और वर्सिटीहेन को समाजशास्त्र की विषय-वस्तु में सम्मिलित करके व्यक्तिनिष्ठता बनाम वस्तुनिष्ठता पर बाल की शुरुआत की।
मैक्स वेबर कभी भी प्रत्यक्षवाव के इर्द-गिर्द बने सूत्रों से प्रभावित नहीं था और समाजशास्त्रीय सिद्धात में सूत्रों को नई दिशा देना चाहता था। वास्तव में एक विषय के रूप में समाजशास्त्र का सशक्तिकरण मैक्स वेबर के द्वारा उनके प्रयासों से हुआ। मैक्स
वेबर के इसी विचारधारात्मक शोध के दो विषय प्रघटन विज्ञान (Phenomenology) और नृजाति-प्रणाली विज्ञान (Ethno-methodology) नवीन तरक्की से संबंधित मुख्य क्षेत्रों को दर्शाते है.
जिसमें वस्तुनिष्ठता के स्थान पर व्यक्तिनिष्ठता को प्रधानता दी गई है। इसी अवधारणा पर आधारित उत्तर-आधुनिकवाद और वैश्वीकरण हाल ही के समय की उपज है।
यद्यपि शुरुआत में समाजशास्त्रीय सिद्धांतों के विषय को सुदृढ बनाने के लिए विकसित किया गया और इसका उद्देश्य इसे मूल विषय के रूप में विकसित करना था।
लेकिन विषय के विकास के साथ-साथ ऐसे परिप्रेक्ष्य में साफ रूप से नजर आने लगे। यहाँ सिर्फ उन परिप्रेक्ष्यों पर ही ब्यान किया जाएगा जिनका समाजशास्त्र के विकास पर प्रत्यक्ष प्रभाव था।
कई बार सिद्धात एवं परिप्रेक्ष्यों जैसे शब्दों का प्रयोग विनिमयात्मक रूप में किया जाता है। समाजशास्त्र में विकसित कुछ जाने-माने परिप्रेक्ष्यों को प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य, द्वंद्व परिप्रेक्ष्य विनिमय परिप्रेक्ष्य और सांकेतिक अंत क्रियात्मक परिप्रेक्ष्य के रूप में जाना जाता है।
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