2022 में भारत का वस्तु व्यापार 1 ट्रिलियन डॉलर के पार,भारत में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा

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2022 में भारत का वस्तु व्यापार 1 ट्रिलियन डॉलर के पार,भारत में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा

  




India’s Merchandise Trade: भारत का वाणिज्यिक वस्तुओं का व्यापार कैलेंडर वर्ष 2022 (जनवरी से दिसंबर) में 1 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर ($1.17 ट्रिलियन) के ऊपर पहुंच गया है। एक कैलेंडर वर्ष में यह पहली बार हुआ है। इसमें से 450 अरब डॉलर का निर्यात और 723 अरब डॉलर का आयात है।


केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक विदेश भेजी जाने वाली खेप में 2022 में पिछले साल की तुलना में 13.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि आयात में 21 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।


साल 2022 की शुरुआती छमाही में निर्यात में 2 अंकों की बढ़ोतरी हुई और यह 34 से 20 प्रतिशत के बीच रही। उसके बाद जुलाई और उसके बाद वृद्धि दर घटकर एक अंक में पहुंच गई और साल के अंत में विकसित देशों में मंदी के डर से भारत का निर्यात प्रभावित हुआ और यह संकुचित हुआ।


इसके बाद साल 2021 में कोविड संबंधी प्रतिबंधों के हटने के बाद ज्यादातर विकसित अर्थव्यवस्थाओं के खुलने की वजह से बढ़ी मांग के कारण निर्यात में वृद्धि हुई। इसके अलावा विकसित देशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, यूरोप के देशों जैसे नीदरलैंड्स, ब्रिटेन, बेल्जियम जर्मनी व अन्य देशों को निर्यात बढ़ा है।


आयात भी 723 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर


वित्त वर्ष 2022 में वाणिज्यिक वस्तुओं का कुल आयात 723 अरब डॉलर रहा है। इसमें दो तिहाई हिस्सा कच्चे तेल (270 अरब डॉलर), कोयला 80 अरब डॉलर), सोना और हीरा (80 अरब डॉलर), इलेक्ट्रॉनिक्स (72 अरब डॉलर) और मशीनरी (55 अरब डॉलर) का रहा है।


वहीं दूसरी तरफ निर्यात में प्रमुख रूप से हिस्सा इंजीनियरिंग के सामान, रत्न एवं आभूषण, ड्रग्स ऐंड फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक सामान और फार्मास्यूटिकल उत्पादों का रहा है।


पिछले वर्षों में वस्तु व्यापार


साल 2021 के कैलेंडर वर्ष में 395 अरब डॉलर का निर्यात और 573 अरब डॉलर का आयात रहा था, इसी प्रकार साल 2020 में 276, साल 2019 में 324 अरब डॉलर का निर्यात और आयात क्रमश: 373 और 485 अरब डॉलर का आयात रहा।


पिछले दशक में भारत से वाणिज्यिक वस्तुओं का सालाना निर्यात 260 से 330 अरब डॉलर के बीच रहा है। सबसे ज्यादा 330 अरब डॉलर का निर्यात वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान हुआ है। इस बार पड़ोसी देशों खासकर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) देशों को उल्लेखनीय मात्रा में निर्यात हुआ है।


ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) की ओर से प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर धूमिल स्थिति के बावजूद कुल वाणिज्यिक व्यापार 1 लाख करोड़ रुपये के पार चला गया है। रिपोर्ट में कहा है ‘यह हमें आने वाले कठिन साल के लिए तैयार कर रहा है, क्योंकि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर घटकर 2023 में 3 प्रतिशत से कम रहने की संभावना ह


 रूस और यूक्रेन का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर 


रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई की वजह से भूराजनीतिक अस्थिरता, महंगाई दर ज्यादा होने और विकसित देशों में मौद्रिक नीति में सख्ती की वजह से खपत घट रही है और भंडारण बढ़ रहा है। इसकी वजह से अमेरिका और यूरोप के देशों में मंदी की स्थिति बनी है। विश्व व्यापार संगठन ने 2022 में वैश्विक वाणिज्यिक व्यापार में मात्रा के हिसाब से 3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया


भारत में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा


भारत में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का निर्यात भी बढ़ रहा है। भारत में रिफाइनरी की मदद से विदेशों से लाया गया कच्चा तेल रिफाइन करने के बाद दूसरे देशों में निर्यात किया जाता है। इन रिफाइन प्रोडक्ट्स के निर्यात से भारत को लाभ कमाने के बेहतर अवसर मिल रहे हैं। भारत द्वारा निर्यात किए जाने वाले वस्तुओं में दूसरे नंबर पर रिफाइन किए गए पेट्रोलियम उत्पाद ही हैं।


इंडस्ट्री को मिल रहा लाभ


मार्च 2020 में पीएलआई योजना की शुरुआत के बाद से घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा तो मिला ही है साथ ही साथ आयात बिलों में भी बड़ी कटौती हुई है। दरअसल, अब देश में ऐसी तमाम प्रोडक्ट्स का निर्माण भी हो रहा है जिन्हें पहले बाहर से आयात किया जा रहा था। इनमें से कई उत्पाद तो एमएसएमई सेक्टर की कंपनियां कर रही हैं। इससे कंपनियों को फायदा मिल रहा है। वहीं पीएलआई योजना से घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों की बिक्री में वृद्धि पर भी कंपनियों को प्रोत्साहन मिल रहा है।


 *युवाओं को रोजगार* 


पीएलआई योजना आज भारत में इकाइयों को स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों को भी आमंत्रित कर रही है। हमारी दवाइयां, वैक्सीन, गाड़ियां, फोन आदि हमारे देश में ही बनें इस दिशा में पीएलआई स्कीम बड़ा कदम माना जा रहा है। कोरोना काल के दौरान भी इस सेक्टर में बीते साल 35 हजार करोड़ रुपए का प्रोडक्शन हुआ। यही नहीं, कोरोना के इस कालखंड में भी इस सेक्टर में करीब-करीब 1300 करोड़ रुपए का नया इंवेस्ट हुआ। इससे हजारों नई जॉब्स इस सेक्टर में तैयार हुई हैं। जाहिर है सरकार मेड इन इंडिया के जरिए प्रोडक्शन को बढ़ाने पर जोर दे रही है।


क्या है पीएलआई योजना ?


भारत को आत्मनिर्भर बनाने, मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के लिए के लिए केंद्रीय बजट 2021- 22 में पीएलआई योजना की घोषणा हुई थी। सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और आयात को कम करने के लिए 13 प्रमुख क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं लागू की है। इसका उद्देश्य घरेलू कंपनियों को देश में उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसमें सरकार भारत में बने प्रोडक्ट की बिक्री के आधार पर इंसेंटिव देती है। इसमें ऑटोमोबाइल, ऑटो कंपोनेंट्स, फार्मा, फूड प्रोडक्ट्स और सोलर पीवी मॉड्यूल्स आदि शामिल है।


 *भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना* 


उल्लेखनीय है कि PLI स्कीम की बदौलत भारत निर्यात के नए रिकॉर्ड बना रहा है। इसके साथ-साथ देश की युवा शक्ति के लिए रोजगार सृजन के दिशा में भी तेजी आई है। PLI स्कीम का नतीजा रहा था जब बीते वर्ष के अंत में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना था। उस समय ये खबर सुनकर प्रत्येक देशवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था। वाकई यूके जैसे विकसित देश को पछाड़कर आगे निकलना कोई आसान बात नहीं थी। मगर PLI योजना ने जिस तरीके से देश को नई दिशा दी है वह काबिल-ए-तारीफ है।

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