भरत बैनीवाल को कांग्रेस ने भेजा नोटिस, एक सप्ताह में मांगा जवाब, संतोष जनक जवाब नहीं देने पर पार्टी से निकाल जा सकता है

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भरत बैनीवाल को कांग्रेस ने भेजा नोटिस, एक सप्ताह में मांगा जवाब, संतोष जनक जवाब नहीं देने पर पार्टी से निकाल जा सकता है



कुमारी शैलजा ने लगाए भूपेंद्र हुड्डा के नजदीकी भरत सिंह बेनीवाल पर भाजपा की मदद करने के आरोप


चण्डीगढ़ / ऐलनाबाद चुनाव में हार पर कांग्रेस का एक्शन:सैलजा ने  EX MLA भरत बेनीवाल को नोटिस भेज मांगा जवाब, अनुशासनात्मक कार्रवाई का संकेत



सिरसा जिले की ऐलनाबाद सीट पर उपचुनाव में हार का सामना करने वाली कांग्रेस पार्टी ने एक्शन शुरू कर दिया है। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने  EX MLA भरत बेनीवाल को पार्टी विरोधी गतिविधियों सहित चुनाव प्रचार में भाग नहीं लेने पर नोटिस भेज एक सप्ताह में जवाब मांगा है। नोटिस मिलने की पुष्टि पूर्व विधायक के बेटे ने कर दी है। साथ ही सफाई दी कि उन्होंने पार्टी प्रत्याशी को चुनाव जीताने में भरसक कोशिश की है।

दरअसल, 2 नवंबर को आए ऐलनाबाद उप चुनाव के नतीजों में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी पवन बेनीवाल की जमानत जब्त हो गई। चुनाव से ऐन पहले पवन बेनीवाल के चाचा भरत बेनीवाल ने भी टिकट के लिए दावेदारी ठोकी थी। उन्हें भूपेंद्र हुड्‌डा का खास माना जाता है। हालांकि दो बार ऐलनाबाद सीट पर विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। इस चुनाव में शुरू से ही कांग्रेस में भीतरघात की बात निकलकर बाहर आ रही थी और चुनाव का परिणाम भी ठीक उसी प्रकार दिखा।



विधान सभा क्षेत्र ऐलनाबाद के उपचुनाव-2021 में कांग्रेस पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार के दौरान आपकी भूमिका नकारात्मक रही है। मतदान से पूर्व आप एक वीडियो में यह कहते हुए दिखाई भी दे रहे हैं कि कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहेगा आपकी गतिविधियों ने न केवल आपकी पार्टी विरोधी मानसिकता को उजागर कर दिया है, बल्कि आपका यह बर्ताव पार्टी संविधान की उल्लंघना करने की श्रेणी में भी आता है।


इस नोटिस के माध्यम से आपसे स्पष्टीकरण मांगा जाता है कि आपके इस पार्टी विरोधी निर्णय के खिलाफ क्यों न आपके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये। आप अपना स्पष्टीकरण इस नोटिस के जारी होने की तिथि से एक सप्ताह के अंदर-अंदर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय को भेजने का कष्ट करें, अन्यथा यह समझा जायेगा कि आपको अपने पक्ष में कुछ नहीं कहना है और ऐसी स्थिति में प्रदेश कांग्रेस कमेटी को अपने स्तर पर निर्णय लेने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

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