village kheri : जानिए शहीद निहाल सिंह गोदारा के गाँव खेड़ी (सिरसा) का इतिहास, संस्कृति, रहन-सहन और वर्तमान में समस्याएं

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village kheri : जानिए शहीद निहाल सिंह गोदारा के गाँव खेड़ी (सिरसा) का इतिहास, संस्कृति, रहन-सहन और वर्तमान में समस्याएं

 


सिरसा चोपटा प्लस ---राजस्थान की सीमा पर बसा हरियाणा के पैंतालिसा क्षेत्र के जम्मू कश्मीर में शहीद हुए निहाल सिंह गोदारा का  गांव खेड़ी  अपने आप में करीब 430 वर्ष पूराना इतिहास समेटे हुए है। करीब 3000 की आबादी वाले गांव खेड़ी में 1700 के करीब वोट हैं। व  रक्बा 3500 एकड़ के लगभग है। राज्य के अन्तिम छोर पर बसा होने के कारण शासन व प्रशासन की उपेक्षा का खामियाजा गांव वासी भुगत रहें हैं। इसी कारण से कई प्रकार की समस्याऐं  वर्षो से हल नही हो पा रही है। बिजली के लटकते तार, बस सेवा, स्वास्थ्य सेवाएं,बिजली आपूर्ति,खेल सुविधा,जैसी सेवाएं बेहद लचर हैं।  शहिद निहाल सिंह गोदारा की शहादत के समय सरकार व प्रशासन ने जो घोषणाएं की थी वह पूरी नही हुई उसका भी ग्रामीणों को मलाल है। गांव में इन समस्याओं  की चर्चा  ग्रामीण हर रोज कर रहे है। खेड़ी माईनर व गिगोरानी माईनर के अन्तिम छोर पर होने के कारण यहां पर नहरी पानी  हमेशा कम ही पहुंच पाता है। नहरी पानी कम मात्रा में पहुंचने के कारण ज्यादातर जमीन बिना बिजाई रह जाती है। नहरी पानी के लिए ग्रामीणों को हर साल संघर्ष करना पड़ता है। संरपच व गांव के युवा गांव की सुरत बदलना चाह रहें हैं।
सिरसा से करीब 40 किलामीटर दूर जिले के अन्तिम छोर पर बसा  गांव खेड़ी  में सबसे पहले श्री श्याम सेवा सदन गौशाला में ग्रामीण गायों की सेवा करते नजर आते हैं। गांव की महिलाएं गौशाला में आकर भगवान के  भजन कीर्तन करने के  गायों की सेवा करती हैं।  राज्य के अन्तिम छोर पर पडऩे के कारण यहां पर पेयजल,बिजली, सिंचाई के लिए पानी की कमी,बस सुविधा की कमी,कच्ची गलियां लचर स्वास्थ्य सेवाएं सहित कई समस्याओं से झूझते गांव के लोग सरकार की उपेक्षा से नाराज हैं। इनका कहना है कि हर सरकारी सुविधा के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

गांव का इतिहास व सामाजिक ताना बाना
राजस्थान की सीमा से सटा होने के  कारण गांव में राजस्थानी व बागड़ी भाषा बोली जाती है। बुजर्गों ने बताया कि करीब 430 साल पहले यहां पर बैनीवाल गोत्र के लोगों ने इस जगह पर डेरा डाला। लेकिन यहां पर रहने वाले बैनीवाल गौत्र के लोग तो यहां से चले गऐ और उनके भांनजे पूनिया गोत्र के चार भाई  राजस्थान के राजगढ तहसील के लदी लटाणा गांव से आकर बस गए व उनके साथ झुंझनू क्षेत्र के चिचड़ोली गांव से बुडाणिया गोत्र के लोग आकर बस गए। तथा बाद में बिकानेर के लूणियासा गांव से गोदारा गोत्र के लोग आकर बस गए। इसके बाद धेतरवाल,सहारण,फगेडिय़ा, खालिया,सहू सहित कई गोत्र के लोग बस गए। गांव में 70 प्रतिशत जाट बिरादरी के लोग रहते हैं। गांव के नाम के बारे में पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि इस जगह को दौलत राम पूनियां की खेड़ी बोलते थे। कालान्तर में  गांव का नाम खेड़ी पड़ गया। गांव के लोगों में भाईचारा पूरी तरह कायम है। इस बार पंचायत चुनाव में पूरी पंचायत सर्वसम्मति बनाई गई। गांव में अब एक भी घर बैनीवाल गौत्र का नही है।

धार्मिक आस्था
 गांव में श्री कृष्णजी मन्दिर, ,शिवजी मन्दिर,जाहरवीर गोगा जी की गोगामेड़ी है। गांव के लोग पूरी आस्था के साथ यहां पूजा अर्चना करते हैं। इसके अलावा ग्रामीण श्रीश्याम सेवा सदन गोशाला  में करीब 300 गौवंशो की देखभाल करतें हैं।  यहां पर एक अति प्राचीन कुआं व तीन जोहड़ भी है। जो गांव की शोभा बढाते हैं।
गांव का पहला सरंपच
गांव में सबसे पहला सरंपच सम्पत सिंह पूनिया को बनाया गया व उसने सबसे सरपंच पद की बागडोर संभालतें हुए गांव में विकास कार्य करवाए। वर्तमान में गांव का निर्विरोध निर्वाचित निवर्तमान सरपंच बलबीर सिंह गांव में विकास कार्यों को करवाने में जुटा हुआ है। इस बार गांव में पूरी पंचायत निर्विरोध चूनी  गई है। गांव के लोगों ने बताया की जब गांव में प्राईमरी स्कूल बना तो सबसे पहले स्कूल में कृष्ण कुमार अध्यापक आया । अध्यापक कृष्ण कुमार की पढानें की लगन,मेहनत को ग्रामीण बहुत याद करतें हैं। इनकी बदौलत गांव के कई व्यक्ति आज बड़े पदों पर सरकारी नौकरी कर रहें हैं।

देश सेवा में अग्रणी गांव है खेड़ी लेकिन प्रशासन की उपेक्षा का शिकार
ग्रामीणों ने बताया कि सीमा सुरक्षा बल क ी 21वीं बटालियन का जवान निहाल सिंह गोदारा निवासी खेड़ी 11 नवम्बर 1999 को कश्मीर में देश की सीमा की रक्षा करते हुए आंतकवादियों की गोली का शिकार हो गया था पिछले 20 वर्षो से गांव खेड़ी में शहीद निहाल सिंह गोदारा की पुण्यतिथि पर स्मारक स्थल पर शहीद की पत्नी,पुत्र,पुत्री व शहीद निहाल सिंह युवा कल्ब खेड़ी के सदस्यों ने ही शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण  व पुष्प अर्पित करते आ रहें है। लेकिन सरकार व प्रशासन की तरफ से कोई अधिकारी व कर्मचारी नहीं पहुंचता।


 शहिद के अन्तिम संस्कार के समय   सरकार ने कई घोषणा की थी की खेड़ी के राजकीय स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर किया जाएगा। व खेड़ी से कागदाना जाने वाली सड़क का नाम भी शहीद के नाम पर रखा जाएगा। लेकिन एक भी घोषणा पर अमल नहीं हुआ। इसके अलावा गांव चार रिटायरर्ड फौजी सूबेदार राम सिहं, राममूर्ति,सुभाष चंद्र व रामप्रताप ने देश सेवा में अपना अहम योगदान दिया है। अन्य सरकार सेवाओं में डीडीए बलवंत सहारण,सीओ जयकरण, वेटरनीटी सर्जन महावीर,सारिका व रामनिवास उच्च पदों पर कार्य कर देश सेवा कर रहें हैं।

सुविधाओं की मांग
गांव  में एक  राजकीय विद्यालय है। कालेज स्तर की पढाई के लिए तो गांव से 40 किलोमीटर दूर सिरसा जाना पड़ता है। बस सुविधा का अभाव होने के कारण अधिकतर मा-बाप अपनी लड़कियों की पढाई छुड़वा लेते है। गांव का सरपंच व युवा कल्ब के सदस्य स्कूल का दर्जा बढानें के लिए प्रयासरत हैं। इनके अलावा दो निजी सकूल भी हैं।आंगनबाड़ी केंद्र , पशु हस्पताल बना हुआ है। लेकिन उप स्वास्थ केंद्र नहीं है जिसके चलते काफी परेशानी उठानी पड़ती है। गांव में खेल प्रतिभा की कमी नही है लेकिन खेल सुविधा न होने के कारण खिलाड़ी आगे बढने से वचिंत रह जाते है। एक  राज्य के अन्तिम  छोर पर बसे होने के कारण विकास कार्यो के मामले  गांव अभी भी काफी पिछड़ा हुआ है।  गांव में अधिकतर गलियां कच्ची हैं व पानी निकासी का कोई प्रबंध नही है। गांव के सरकारी स्कूल में  स्टाफ की कमी के कारण छात्र छात्राएं पढाई में पिछड़ रहे हैं। हमेशा बिजली की कमी रहती है। बस सुविधा नही है। ग्रामवासी गांव में विकास के लिए नऐ पढे लिखे सरपंच पर आस लगाए बैठे हैं। 
Reporting By- Chopta Plus नरेश बैनिवाल

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