अब कट्टे में नहीं बल्कि शीशी में मिलेगी यूरिया खाद, नैनो यूरिया परिचय एवं फसल उत्पादन के महत्व पर इफको द्वारा आयोजित वेबीनार में दी जानकारी

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अब कट्टे में नहीं बल्कि शीशी में मिलेगी यूरिया खाद, नैनो यूरिया परिचय एवं फसल उत्पादन के महत्व पर इफको द्वारा आयोजित वेबीनार में दी जानकारी

 



अब कट्टे में नहीं बल्कि शीशी में मिलेगी यूरिया खाद, नैनो यूरिया परिचय एवं फसल उत्पादन के महत्व पर इफको द्वारा आयोजित वेबीनार में दी जानकारी

सिरसा। इफको का एक शोध कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। क्योंकि विश्व में पहली बार यूरिया खाद को तरल पदार्थ के रूप में लांच करने की तैयारी है । जिससे अब किसानों को यूरिया 45 किलोग्राम के कट्टे के बजाय 500 मिलीलीटर की शीशी में उपलब्ध होगी। इसे यूरिया के विकल्प के रूप में विकसित किया जा रहा है। खास बात यह है कि यूरिया की कीमत में भारी कमी आएगी। साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति और भूमिगत जल को प्रदूषित होने से रोका जा सकेगा। क्योंकि नैनो यूरिया का फसल पर स्प्रे किया जाएगा । नैनो यूरिया का उत्पादन जून में शुरू हो जाएगा। इस पर विस्तृत चर्चा के लिए इफको द्वारा शनिवार को वेबीनार का आयोजन किया गया। उर्वरक क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी संस्था  इफको ने  नैनो यूरिया की जानकारी किसानों को देने के लिए नैनो यूरिया परिचय एवं फसल उत्पादन के महत्व पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया । तथा वेबीनार में राज्य भर से पंद्रह सौ किसानों , सहकारी समितियों के प्रभारियों, सीएससी प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉक्टर बीआर कंबोज, चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार रहे । तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता योगेंद्र कुमार विपणन निदेशक तथा विशिष्ट अतिथि श्री दिनेश कुमार त्यागी प्रबंध निदेशक सीएससी नई दिल्ली ने की। बहादुर सिंह गोदारा सहायक क्षेत्र प्रबंधक इफको सिरसा ने बताया कि शोध तो अमेरिका में भी चल रहा है लेकिन भारत में इफको ने इसे से तैयार कर लिया है , और भारत सरकार ने नैनो यूरिया को  खाद के रूप में मान्यता प्रदान कर दी है।



दि सिरसा  साक्षी  फ्रूट एंड वेजिटेबल  कोऑपरेटिव 
महिला सोसायटी रानियां  Vimla Sinver



 इफको ने गुजरात में कलोल में नैनो यूरिया का प्लांट लगाया 
है तथा नैनो यूरिया का उत्पादन 15 जून से शुरू कर देगा। इसके बाद नैनो यूरिया को जून के महीने में  किसानों के लिए लांच करने की तैयारी है ।इससे भूमि की उर्वरा शक्ति, भूमिगत जल को बड़ा फायदा तो होगा ही इसकी वास्तविक कीमत भी यूरिया के कट्टे से कम होगी। इसका परिवहन भी बेहद आसान होगा। किसानों को भी खेतों तक ले जाने के लिए आसानी होगी। जितना काम 45 किलोग्राम का यूरिया का कट्टा करता है उतना ही काम 500 मिलीलीटर की सीसी वाली ने यूरिया करेगी। उन्होंने बताया कि किसानों द्वारा यूरिया का प्रयोग अधिक किया जाता है , अभी तक जो खेतों में लगाई जाती है वह पानी में घुलकर जमीन के अंदर चली जाती  है । जिससे उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है पानी के साथ भूमिगत जल में मिलकर भी जल को भी कहीं ना कहीं प्रदूषित करती है क्योंकि खेतों में लगाई जाने वाली यूरिया को पौधा केवल 25 से 30% उपयोग कर पाता है । शेष जमीन के अंदर चली जाती है या फिर अमोनिया में परिवर्तित होकर उठ जाती है जो वायुमंडल को प्रदूषित करती है । लेकिन अब द्रव्य पदार्थ के रूप में यूरिया का स्प्रे किया जाएगा, जो पत्तों के छिद्रों से पौधा अपने अंदर लेगा। जिससे पौधा खाद का 90% उपयोग कर पाएगा । अभी तक इफको ने नैनो यूरिया की कीमत का खुलासा नहीं किया है लेकिन ने बताया कि किसानों को 45 किलोग्राम का यूरिया का कटा ₹266 50 पैसे का मिलता है इस पर करीब ₹565 की बार सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है । अब सरकार को भी कम सब्सिडी देनी होगी यूरिया को बनाने में नेचुरल गैस का इस्तेमाल किया जाता है इसके लिए खाड़ी देशों पर निर्भर रहना पड़ता है तथा भुगतान करना पड़ता है । लेकिन नैनो यूरिया के उत्पादन में हमें इसकी आवश्यकता नहीं होगी तथा सब्सिडी के रूप में दिया जाने वाला पैसा विकास कार्यों में काम लाया जा सकेगा|

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